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नज़रिया

जनादेश की राजनीति

जनादेश की राजनीति

“चुनाव नतीजों ने सबके हिस्से में एक न एक मायने में कुछ जोड़ा तो सबकी राह में कुछ रोड़े भी अटका दिए और...
वादों पर जवाबदेही की बेला

वादों पर जवाबदेही की बेला

आखिरी वर्ष! फिर अग्निपरीक्षा की बारी! किसी भी सरकार के मुखिया के लिए यह एहसास पैरों में सुरसुरी पैदा कर...
अब परीक्षा का अंतिम दौर

अब परीक्षा का अंतिम दौर

लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को मतदाता पांच साल देता है उन वादों को पूरा करने के लिए जो सत्ताधारी दल ने...
कठुआ, उन्नाव, सूरत, एटा...

कठुआ, उन्नाव, सूरत, एटा...

“ हालात बदलेंगे, जब समाज जगेगा। अपराध को सामुदायिक चश्मे से देखने की प्रवृत्ति और राजनैतिक संरक्षण...
चुनाव शास्त्र का पतन

चुनाव शास्त्र का पतन

योगेंद्र यादव “ पॉलिटिकल कंसल्टेंट सिर्फ राय ही नहीं देते, सीधे-उल्टे तरीके से चुनाव को सेट करने के...
डिजिटल खतरों में निहत्थे

डिजिटल खतरों में निहत्थे

“दुनिया की बड़ी इकोनॉमी में शुमार होती हमारी अर्थव्यवस्था और अथाह डेटा पैदा करने वाले देशों में से...
सहूलियत की सरकार

सहूलियत की सरकार

जब वर्ल्ड बैंक ने कहा कि जीएसटी दुनिया की सबसे जटिल कर प्रणालियों में से एक है तो सरकार ने इसे नजरअंदाज...
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