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नज़रिया

दावोस, देश और बजट

दावोस, देश और बजट

पद्मावत फिल्म का विरोध करने वाले उपद्रवियों को शायद एहसास है कि वे तोड़-फोड़ और हिंसक कृत्यों को अंजाम...
बीता सुधार का वक्त

बीता सुधार का वक्त

यह बजट फिस्कल, मॉनेटरी और पॉलिटिकल तीनों मोर्चों पर सरकार के लिए बड़ी परीक्षा साबित होने वाला है। अगर...
भावनाओं पर भारी हकीकत

भावनाओं पर भारी हकीकत

साल 2018 देश के लिए एक अहम संदेश लेकर आ रहा है। यह संदेश देश का आम आदमी राजनैतिक दलों से लेकर अपना आधार...
उभरा नया गुजरात मॉडल

उभरा नया गुजरात मॉडल

सत्ता के लिए धर्म, गुजराती अस्मिता और अंततः पाकिस्तान जैसे प्रचार के औजार बने, उससे चुनाव का एक नया...
एक 'मॉडल' के तीन पहलू

एक 'मॉडल' के तीन पहलू

- कांची कोहली और मंजू मेनन पिछले कई वर्षों से इस मुद्दे पर काफी बहस हुई है। 2014 के राष्ट्रीय चुनाव में जिस...
लोकतंत्र या भीड़तंत्र!

लोकतंत्र या भीड़तंत्र!

असल में राजनीतिक दल और नेता लोगों को लुभाने के आसान उपाय ढूंढ़ रहे हैं। यही वजह है कि असली मुद्दों की...
नोटबंदी के नफा-नुकसान

नोटबंदी के नफा-नुकसान

नोटबंदी का आम आदमी पर क्या असर पड़ा। इसका सीधा-सा जवाब है कि घटती अर्थव्यवस्था में रोजगार और कारोबार...
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