हाशिम अंसारी हिंदुस्तान के ऐसे शख्स थे जिन्हें हिंदु-मुसलमान दोनों बराबर प्रेम करते थे। वह सभी के घर जाते और उनके घर भी सभी आते थे। बाबरी मस्जिद का असल नेता तो चला गया, जो हैं वे तो बाबरी मस्जिद के मलबे की पैदावार हैं। चाहे वह आजम खान हों या जोगी आदित्यनाथ। आज के दौर में हाशिम अंसारी जैसी सोच रखने वालों की बहुत जरूरत है।
अयोध्या एक ऐसी जगह है जहां बौद्धों, हिंदुओं और मुसलमानों की मिलीजुली तहजीब रही है। गंगा-जमुनी तहजीब का सबसे हसीन शहर था अयोध्या लेकिन सियासतदानों की चिंगारी ने दिल बांट दिए। आजकल जैसा माहौल चल रहा है ऐसे में हाशिम अंसारी का जाना देश के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है। ऐसे माहौल में तो उनकी ज्यादा जरूरत थी। हाशिम अंसारी ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें हर आदमी ने खरीदना चाहा लेकिन वह बिके नहीं। चाहते तो करोड़ों रुपये कमा सकते थे। लेकिन अंसारी गरीब थे, गरीब रहे। कभी समझौते नहीं किए। अभी उनके घर जिस प्रकार से श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह जितने प्यारे मुसलमानों को थे उतने ही हिंदुओं को भी प्यारे थे।
(लेखक पूर्व सांसद है।)
जैसा कि उन्होंने आउटलुक विशेष संवाददाता मनीषा भल्ला को बताया