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राजाओं की मंडी में सियासत का रंगमंच: रानौत की सीट पर देश की निगाहें

देश के 18वें लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की एक सीट ‘मंडी’ ने देश का ध्यानाकर्षित तो किया ही है ,...
राजाओं की मंडी में सियासत का रंगमंच: रानौत की सीट पर देश की निगाहें

देश के 18वें लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की एक सीट ‘मंडी’ ने देश का ध्यानाकर्षित तो किया ही है , वहीं बॉलीवुड की राजनीति में धमकदार एंट्री से मंडी खूब खनक रहा है। जो मंडी कभी राजाओं की मंडी हुआ करती थी, वहां रंगमंच की सियासत नया गुल खिला रही है। भाजपा ने इस बेहतरीन व पहले से ही अत्यंत सुविधाजनक सीट पर बॉलीवुड राजपूत अभिनेत्री रनावत को चुनावी जंग में उतार कर कई विवाद मोल लिए हैं। यूं तो भाजपा के लिए यह सीट इसलिए भी सुविधाजनक थी क्योंकि मंडी जिले की 10 में से 9 विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में पहले ही थी और मंडी संसदीय सीट की बाकी विधानसभा सीटों पर वर्ष 2022 में भाजपा का वोट मतांतर बहुत ही कम था । लेकिन इस सीट से कंगना रनौत को उतार कर अचानक भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर विवादों में तो घिर ही गई, वह भी तब जब सीधा बॉलीवुड से कंगना के कई ‘ खैर ख्वाह’ पहले से ही मौजूद है। सोशल मीडिया पर ट्रोल होती इस एक्ट्रेस व उम्मीदवार पर हिमाचल के देव समाज का सीधा असर दिखा है। यह दीगर बात है कि कंगना का सोशल मीडिया संरक्षक बराबर की टक्कर भी दे रहा है। बहरहाल चुनावी राह और सेलीब्रिटी - सिलेबस, दोनों अपनी-अपनी जगह हैं।

लेकिन मंडी से अभी तक कांग्रेस ने अपने पत्ते उम्मीद्वार को लेकर साफ नहीं किए हैं। ज्यूं ही प्रत्याशी घोषित होगा या होगी, त्यूं ही स्टार दौर नए स्वरूप में होगा।

हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट की सियासत विवादित भी रही है और दिलचस्प भी। क्योंकि यहां से लडऩे वाले कभी भी सामान्य परिवेश से नहीं थे। राजसी घरानों से महेश्वर सिंह तीन बार, वीरभद्र सिंह दो बार, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह दो बार, कंद्रीय मंत्री रहे पंडित सुखराम तीन बार सांसद रहे। वीरभद्र बुशहर रियासत के, महेश्वर कुल्लू के और सुखराम मंडी जिला से ताल्लुक रखते हैं और तो और यहां से जयराम ठाकुर भी हार गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने मंडी से ऐसी पकड़ बनाई कि संघ से जुड़े रामस्वरूप, बेहतरीन मतों से 2019 में जीत गए। परंतु जब उन्होंने दिल्ली में फंदा लगा कर आत्महत्या की तब फिर, प्रतिभा सिंह 49.23 प्रतिशत मत लेकर जीत गई। हालांकि तब प्रदेश में भाजपा की जयराम सरकार थी।

कुल मिलाकर मंडी सीट पर चुनाव हर बार नई दिशा व दशा लेकर आता है। भाजपा ने सेलीब्रिटी कंगना पर दाव लगाया है। हालांकि कंगना की उम्मीद्वारी घोषित होने से पहले ही प्रतिभा सिंह ने चुनाव ना लडऩे का ऐलान कर दिया था। माना जा रहा था कि प्रतिभा, मोदी लहर के चलते आगे नहीं आना चाहती थी। इसीलिए उन्होंने मंडी से कार्यकर्ताओं की अपनी सरकार में अनदेखी की बात भी की। इसी बीच कंगना का दिल्ली से ऐलान होते ही सोशल मीडिया की कमेंटरी व धूम -धड़ाम के बीच मंडी की सीट सुपर हॉट बन गई। मंडी के कार्यकर्ता सुपर स्टार को साक्षात सामने देख सन्न थे तो वहीं मंडी में पार्टी के वरिष्ठ नेता कंगना की छाया भर रह गए। तेज तर्रार कंगना ने आरोपों का खंडन मंडयाली में किया तो सही, लेकिन सरकाघाटी व बिलासपुरी मिश्रित बोली से, पांगी, लाहुल, रामपुर, छतरी, सराज व मंडी स्थानीय बोली बोलने वाले वोटर अचरज थे। क्योंकि कंगना की अगली चुनौती इन बोलियों को बोलना भी होगा।

दरअसल मंडी संसदीय सीट में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिसमें चार कुल्लू जिला के, चंबा, किन्नौर, लाहुल स्पीति व शिमला की एक एक विधानसभा सीट है। मंडी की 9 सीटें हैं यानी मंडी संसदीय क्षेत्र में 6 जिले आते हैं और इन सभी 6 जिलों की बोलियां अलग -अलग हैं।

इन 17 विधानसभा सीटों में दोनों दलों में कांटे की टक्कर है। परंतु सराज में जयराम की सीट, मंडी में अनिल शर्मा की सीट, भरमौर से जनकराज की सीट और सुंदरनगर से राकेश जमवाल की भाजपाई सीटों से पार्टी को बहुत बड़ा वोट शेयर मिलता है। मंडी जिला की इन्हीं सीटों से कंगना का वजन बढ़ता भी है।

लेकिन मुश्किलें भी कम नहीं। ज्यूं ज्यूं प्रचार परवान चढ़ेगा, कांग्रेस जम कर वार करेगी। कंगना की तस्वीरों को लेकर हो या मुँहफट ब्यानबाजी या खान- पान को लेकर संघ व पार्टी विचारधारा के विपरीत पुराने मसले, इनकी मुश्किलें खड़ी करेंगे।

कुल्लू से भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद महेश्वर सिंह का एक बडा देव समाज प्रभाव व नाराजगी कंगना का रास्ता उतना सरल नहीं करती जैसा कि किसी सामान्य कार्यकर्ता, जैसे रामस्वरूप इत्यादी का हो सका था। वीरभद्र परिवार चुनाव में कूदा तो क्षेत्र में राजशाही की एक जुटता, देवलु समाज भी प्रभाव दिखाएगा।
वैसे कंगना की चमक के चलते किसी भी बड़े स्थानीय नेता की चमक फीकी पड़ रही है। इसलिए मंच पर खड़े बड़े नेताओं की महत्ता खतम हुई है। यह मसला भी चुनाव प्रभावित कर सकता है। लेकिन बतौर बोल्ड एक्ट्रेस कंगना युवाओं की पसंद भी है। इस नजरिए से देखे तो रानावत के लिए कार्यकर्तावोट मायने ना भी रखें, फैंस वोट काफी हो जाएंगे।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस अभी मूड भांप रही है। थोड़ा रूक कर प्रत्याशी घोषित करेगी। प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य या महेश्वर सिंह जैसे कद्दावर नेता कांग्रेस के हथियार होंगे। विक्रमादित्य पिता की गद्दी संभालते हैं, तो कंगना की मुश्किलें बढ़ सकती है। पिता की तरह सिंह भी युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं।

बता दें कि लोकसभा उप चुनाव 2021 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को 365650 वोट मिले थे जबकि भाजपा के खुशाल सिंह को 356664 वोट मिले जिसका मतांतर मात्र 1. 18 फीसदी था। वहीं 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के राम स्वरूप शर्मा को 647189 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के आश्रय शर्मा को 241730 वोट मिले जिसमें मतांतर 43 फीसदी का था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के राम स्वरूप को 362824 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के प्रतिभा सिंह को 322968 मत मिले इसका मतांतर 5.5 था।

देखना यह है कि रानावत की सोशल मीडिया मैनेजमेंट व रंगमंच की हवाओं के बीच क्या लोग मंडी में मोदी लहर व चेहरे को जिंदा रख पाएंगे? या मंडी सेलीब्रिटी बॉलीवुड व विवादों को दरकिनार करके जयराम सरीखे साधारण नेता व मोदी के विकास को आत्मसात करेंगे?

 

(रचना गुप्ता हाल में छपी पुस्‍तक 'शिमला' की लेखक और टिप्पणीकार)

 

 

 

 

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