गौरतलब है कि भारत की सबसे मशहूर पोर्न टून सविताभाभी.कॉम ने इस भारतीय यौन फंतासी का शोषण सबसे पहले किया था। हालांकि जून, 2009 में इस साइट को ब्लॉक कर दिया गया था। सविताभाभी.कॉम पर प्रतिबंध एक ऐसी खबर थी जिसे हिंदी-अंग्रेजी दोनों मेनस्ट्रीम मीडिया ने दिलचस्पी से अपने अखबारों में प्रकाशित किया। कॉमिक कैरेक्टर के रूप में सविता भाभी देश की पहली पोर्न स्टार थी। हालांकि वह लाइव नहीं सिर्फ कार्टून रेखांकन थी।
दूसरे लिंक से सविता भाभी
सविताभाभी पर इंटरनेट के जरिये आम साधारण घरों में अश्लीलता फैलाने का आरोप था। पोर्न पाठकों का एक बड़ा वर्ग इसपर प्रतिबंध से मायूस हुआ था। बैन करने के बावजूद सविता भाभी के दीवानों में उन्हें देखने की लालसा बनी रही। बल्कि यही नहीं उसका एक नया पाठक वर्ग तैयार हुआ। नतीजा यह रहा कि दूसरे लिंक से सविता भाभी की नई सुरिज को देखा जा सकता था। उसका यूआरएल ही बदल दिया गया। फिर doodhwali.com और kirtu.com पर यह सिरीज नजर आई।
सविता भाभी के दीवानों की वजह
सरकार की लाख औपचारिक कोशिशों के बावजूद पोर्न दर्शकों का सविता भाभी देखना जारी रहा। दूसरी तरफ अपने शुरुआती दिनों से ही इस साइट ने इतनी शोहरत अर्जित कर ली थी कि इसके हिट्स में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। वजह बोलचाल की भाषा और छोटे वाक्य, बिना लाग लपेट के ठेठ स्थानीय अलफाज। वासना की जुबान में शायद कुछ शब्द एक जैसे बोले जाते हैं। चाहे कोई पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़। सविता भाभी के दिमाग में भी वासना के वही शब्द निकलते थे जो आम जुबान के शब्द होते हैं। सविता भाभी के रूप में लेखक ने यौन फंतासी पड़ोस की घरेलू महिला की छवि के इर्द-गिर्द बुनी थी। सविता भाभी की ब्रा बेचने वाले सेल्समैन, लड़कों की क्रिकेट की गेंद का घर आ जाना, बिजली ठीक करने वाले का घर आना, कजिंस के घर जाना आदि जैसी सिरिज आम घरों की फंतासी कहानी थी। अपनी शब्दावली और पश्चिम की बजाय ठेठ भारतीय परिवेश की वजह से वह भारतीय वासना और सेक्स फंतासी को ज्यादा उकसाती थी। एलेक्सा की मानें तो उस समय सविताभाभी देश की 82 वीं सबसे ज्यादा देखी