अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन का जिबूती के सामरिक क्षेत्र में सैन्य अड्डे का निर्माण ऐसा पहला कदम है और संभवत: यह दुनिया में उसके मित्रवत देशों के बंदरगाहों पर सैन्य शिविरों के विस्तार की संभावना का आगाज करेगा। यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस में पेश की गई है।
चीन विदेशी बंदरगाहों तक अपनी पहुंच में भी विस्तार कर रहा है। वह हिंद महासागर, भूमध्यसागर और अटलांटिक महासागर जैसे सुदूरवर्ती समुद्री क्षेत्रों में भी अपनी स्थिति सुनिश्चित करना चाहता है।
रिपोर्ट में हालांकि इस बात पर चिंता जाहिर की गई है कि अधिक अड्डों के निर्माण के चीन के प्रयास पर कुछ देशों को मजबूरी में अपनी इच्छा के विपरीत अपने बंदरगाहों पर चीन की पिपुल्स लिबरेशन आर्मी की उपस्थिति के कारण समर्थन करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि चीन बलूचिस्तान में सामरिक रूप से स्थित ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है और कई अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने यह कदम वहां अपनी सैन्य मौजूदगी रखने के उद्देश्य से उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार चीन ने जिबूती में 2016 में सैन्य अड्डा बनाना शुरू किया था। इसके अगले साल पूरा होने की उम्मीद है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुइंग ने कहा कि उनका देश इस रिपोर्ट का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि चीन एशिया-प्रशांत क्षेत्र सहित पूरी दुनिया में शांति के लिए प्रतिबद्ध है। हुआ ने कहा कि पाकिस्तान और चीन नजदीकी मित्र हैं और कई क्षेत्र में एक-दूसरे के हित के लिए काम करते हैं। (एजेंसी)