अमेरिकी आईटी बाजार पर नजर रखने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है, जिसमें अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को एच -1 बी वीजा धारकों को नौकरी पर रखने से रोक दिया गया है।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा 23 जून को एक महत्वपूर्ण चुनावी साल में अमेरिकी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए 2020 के अंत तक एच -1 बी वीजा के साथ-साथ अन्य प्रकार के विदेशी कार्य वीजा को निलंबित करने के एक महीने बाद यह कदम उठाया गया। इस हस्ताक्षर के बाद नए प्रतिबंध 24 जून से लागू हो गए हैं।
ये भी पढ़ें: एच-1बी वीजा पर ट्रंप के आदेश के खिलाफ अदालत पहुंचे 174 भारतीय नागरिक, दायर किया मुकदमा
ये भी पढ़ें: निर्वाचित हुआ तो एच-1बी वीजा निलंबन को रद्द कर दिया जाएगा: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन
भारतीय आईटी पेशेवरों में सबसे अधिक मांग वाला एच-1बी वीजा है, जो एक गैर-आप्रवासी वीजा है। ये वीजा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मियों को विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है, जिन्हें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। अमेरिकी आईटी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर हैं।
ये भी पढ़ें: ऑनलाइन क्लासेज वाले विदेशी छात्रों को छोड़ना होगा अमेरिका, वीजा वापस लेने का किया ऐलान
ये भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर लगाई अस्थाई रोक, भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए झटका
आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ओवल ऑफिस में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनकी सरकार यह बर्दाश्त नहीं करेगी कि सस्ते विदेशी कामगारों के लिए कठिन परिश्रम करने वाले अमेरिकी नागरिकों को नौकरी से हटाया जाए। ट्रंप ने कहा, “अबएच-1बी वीजा की वजह से किसी अमेरिकी श्रमिकों को नौकरी से नहीं हटाया जाएगा। एच-1बी वीजा का उपयोग उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए किया जाएगा ताकि अमेरिकी लोगों को नौकरियों के अवसर मिल सके।