कोरोना महामारी की वजह से अमेरिका में रह रहे विदेशी छात्रों को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल, सोमवार को ट्रंप सरकार ने ऐलान किया है कि उन छात्रों का वीजा वापस लिया जाएगा जिनकी कक्षा कोविड की वजह से केवल ऑनलाइन मोड में हो रही है। इमिग्रेशन और कस्टम इंफोर्समेंट (आईसीई) डिपार्टमेंट की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि नॉनइमिग्रैंट एफ-1 और एम-1 छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिनकी केवल ऑनलाइन क्लासेज हो रही है। डिपार्टमेंट के मुताबिक ऐसे छात्रों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। यदि वो अमेरिका में रह रहे हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़कर अपने देश जाना होगा।
आईसीई ने राज्यों के डिपार्टमेंट्स से कहा है कि ऐसे छात्र जिनकी कक्षाएं पूरी तरह से ऑनलाइन चल रही हैं उन्हें अगले सेमेस्टर के लिए वीजा जारी नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्हें राज्य में प्रवेश की अनुमति भी नहीं दी जाएगी। आईसीई के मुताबिक एफ-1 के छात्र एकैडमिक कोर्स वर्क में हिस्सा लेते हैं जबकि एम-1 छात्र 'वोकेशनल कोर्सवर्क' के होते हैं। गौरतलब है कि अमेरिका के अधिकांश विश्वविद्यालयों ने अब तक अगले सेमेस्टर के लिए योजना के बारे में नहीं बताया है।
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दरअसल, 50 में से 40 राज्यों में कोरोनो वायरस के बाद फिर से खुलने वाले विश्वविद्यालयों पर आईसीई शिकंजा कस रहा है। इमिग्रेशन अटॉर्नी साइरस मेहता ने कहा है कि इस आदेश के तीन मतलब हैं। इससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्र जो केवल ऑनलाइन शिक्षा मॉडल में प्रवेश कर रहे हैं, उन्हें एफ-1 वीजा प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा। वो अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
आईसीई की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब पूरी दुनिया के मुकाबले अमेरिका में कोरोनो वायरस संक्रमितों के सबसे ज्यादा मामले हैं। अब तक कोविड-19 से 2.9 मिलियन अमेरिकी संक्रमित हो चुके हैं जिसमें से 1,30,000 से अधिक मारे जा चुके हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स 2018 के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की कुल आबादी ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 45 डॉलर बिलियन का योगदान दिया। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 3,90,000 विदेशियों ने वित्तीय वर्ष 2019 में छात्र वीजा प्राप्त किया।