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ईरान समझौते पर अमेरिका में घमासान

ईरान पर प्रतिबंध हटाने को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने जो समझौता किया है उसे लेकर खुद अमेरिका में ही घमासान मचा हुआ है। राष्ट्रपति बराक ओबामा जहां डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रनिनिधित्व करते हैं वहीं अमेरिकी सीनेट और कांग्रेस में उनके विरोधी रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का दबदबा है और यह पार्टी ईरान समझौते से नाखुश बताई जा रही है।
ईरान समझौते पर अमेरिका में घमासान

ईरान के साथ हुए समझौते की कड़ी निंदा  करते हुए राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन आकांक्षी भारतीय मूल के बॉबी जिंदल ने कहा है कि इस खतरनाक समझौते ने तेहरान को परमाणु हथियार हासिल करने के मार्ग पर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा,  यह एक खतरनाक समझौता है जिसने ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने के मार्ग पर खड़ा कर दिया है, खाड़ी में अमेरिकी सैन्य शक्ति को जर्जर कर दिया है और इसके चलते इस्राइल कम सुरक्षित रह गया है। और उसने निश्चित तौर पर हमें यहां घर में कम सुरक्षित कर दिया है।

दूसरी ओर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बनी सहमति के परिप्रेक्ष्य में ओबामा प्रशासन ने भारत और जापान जैसे देशों की दुहाई देते हुए कहा है कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों की कीमत इन देशों ने चुकाई है और अगर अमेरिकी कांग्रेस की ओर से इस समझौते को विफल किया जाता है कि ये देश शायद उपकृत महसूस नहीं करेंगे। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजन राइस ने दलील दी है कि अगर समझौते को कांग्रेस की मंजूरी नहीं मिली तो भारत और जापान जैसे देश उपकृत महसूस नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, ईरान कहेगा कि देखो, हमने समझौते के लिए हस्ताक्षर किया, हम अपने हिस्से का काम करने को तैयार हैं, लेकिन अब प्रतिबंध संबंधी राहत की कोई संभावना नहीं है, ऐसे में हम अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि अमेरिका के नेतृत्व में दुनिया के छह प्रमुख देश ईरान के साथ परमाणु सहमति पर पहुंचे हैं। ईरान पर लगे प्रतिबंधों में ढील मिलने से भारत उससे कच्चा तेल खरीद सकेगा। प्रतिबंध की स्थिति में नई दिल्ली ईरान से इस वित्त वर्ष में 90 लाख टन से अधिक तेल का आयात नहीं कर सका।

उधर अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी घोषित कर चुके 44 वर्षीय जिंदल ने कहा कि ओबामा प्रशासन जब यह कहता है कि आईएईए अब भी ईरान के सभी परमाणु प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर सकती है तो वह गलत बोलता है। उन्होंने आरोप लगाया, समझौता किसी भी समय-कहीं भी ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों तक पहुंच उपलब्ध नहीं कराता। 

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