डेनियल कोट्स ने अमेरिकी सांसदों से कहा, भारत विरोधी आतंकवादियों को मिलने वाले सहयोग को बंद नहीं करा पाने में पाकिस्तान की नाकामयाबी और इस नीति के खिलाफ नई दिल्ली की बढ़ती असहिष्णुता साथ ही सीमा पार से जनवरी 2016 में पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तानी जांच में कोई प्रगति नहीं होने के कारण 2016 से द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आने लगी थी। कोट्स ने कहा कि 2016 में आतंकवादियों के पाकिस्तान पार कर भारत आने और दो बडे हमलों को अंजाम देने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं।
उन्होंने कहा, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अलग-थलग किए जाने और भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते गहरे संबंधों एवं विदेशों में भारत की बढ़ती पहुंच सहित उसकी अंतरराष्टीय स्तर पर बढ़ती प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित है। कोट्स ने कहा, पाकिस्तान खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने से बचाने के लिए चीन की ओर रूख कर सकता है। इस संबंध के मजबूत बनने से बीजिंग को हिंद महासागर में अपना प्रभाव डालने में मदद मिलेगी।
कोट्स ने कहा, यह समूह क्षेत्र में अमेरिका के हितों पर निरंतर खतरा बनाए रखेंगे और वहीं भारत और अफगानिस्तान पर हमले की योजना बनाना एवं हमले करना जारी रखेंगे। एजेंसी का आकलन है कि दक्षिण एशिया में, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगियों की सैन्य सहायता की मामूली वृद्धि के बावजूद भी वर्ष 2018 तक राजनीतिक एवं सुरक्षा स्थिति निश्चित रूप से खराब होगी।
उन्होंने कहा, अफगानिस्तान आतंकवाद पर काबू पाने एवं तालिबान के साथ किसी प्रकार का शांति समझौता करने तक बाहरी समर्थन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए लड़ता रहेगा। कोट्स ने कहा, हमने आकलन किया है कि इस बीच तालिबान संभवत: अपनी पकड़ बनाना जारी रखेगा (विशेषकर ग्रामीण इलाकों में)। अफगान सुरक्षा बलों का प्रदर्शन तालिबान के अभियानों, संघर्षों में मारे गए लोगों, अमेरिकी और नाटो सेना की वापसी और कमजोर नेतृत्व के चलते और खराब हो सकता है। (एजेंसी)