दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के चार देशों का दौरा कर रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि आशा की एक सार्वभौमिक भाषा होती है और गरिमा तथा लोकतंत्र के लिए लड़ाई एक जैसी ही है।
गांधी ने अपने यूट्यूब चैनल पर कोलंबिया और पेरू की अपनी यात्रा की तस्वीरें साझा कीं।
राहुल गांधी ने कहा कि कोलंबिया के कोमुनास की जीवंत सड़कों और मेडेलिन विश्वविद्यालय की कक्षाओं से लेकर पेरू के लीमा में छात्रों के साथ भावपूर्ण बातचीत तक, दक्षिण अमेरिका की यह यात्रा गर्मजोशी, आनंद और विचारों से परिपूर्ण रही है। उनका कहना था, "मैंने ऐसे कलाकारों से मुलाकात की जो रंगों का उपयोग प्रतिरोध के रूप में करते हैं और ऐसे छात्रों से भी मिला जो निडर होकर सपने देखते हैं। उनकी रचनात्मकता और साहस की भावना सचमुच प्रेरणादायक थी।"
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हर कदम पर, मुझे यह अहसास हुआ कि आशा की एक सार्वभौमिक भाषा होती है, और सभी महाद्वीपों में गरिमा और लोकतंत्र के लिए हमारी लड़ाई एक जैसी है। राहुल गांधी चार दक्षिण अमेरिकी देशों कोलंबिया, ब्राज़ील, पेरू और चिली की 10 दिनों की यात्रा पर हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता के इस दौरान राजनीतिक नेताओं, छात्रों और उद्यमियों से बातचीत करने की संभावना है। पार्टी ने कहा कि गांधी कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे जिससे लोकतांत्रिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी।
गांधी ने बीते गुरुवार को कोलंबिया के मेडेलिन स्थित ईआईए विश्वविद्यालय में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में दावा किया था कि मौजूदा समय में भारत में "लोकतांत्रिक व्यवस्था पर व्यापक हमला" हो रहा है, लेकिन यह एक ऐसा बड़ा जोखिम है जिससे देश को पार पाना होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि देश के लिए यह जरूरी है कि विभिन्न परंपराओं को पनपने दिया जाए, क्योंकि "हम चीन जैसा नहीं कर सकते जहां लोगों का दमन किया जाता है और एक अधिनायकवादी व्यवस्था चलाई जाती है"।