अफगानिस्तान, पाकिस्तान और मध्य एशिया में वर्ष 2009 से 2013 तक उप रक्षामंत्री रह चुके डेविड एस सिडनी ने कहा, पूरे अफगानिस्तान में तालिबान के द्वारा भारी मात्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों और विस्फोटकों से यह पता चलता है कि उनके पास अपने सैन्य उपकरणों को पाकिस्तान स्थित भंडार केंद्रों और आपूर्ति श्रृंखलाओं से अफगानिस्तान में लाने के लिए वित्तीय एवं साजो सामान की अवसंरचना थी।
एक कांग्रेशनल सुनवाई के दौरान सिडनी ने सांसदों से कहा, पाकिस्तानी स्रोतों से मिलने वाले उपकरणों के अलावा पाकिस्तानी लड़ाकों का भी तालिबान के हमलों में व्यापक इस्तेमाल किया गया। अधिकतर मामलों में ये सजातीय पश्तून थे, जिन्होंने अफगान सीमा से सटे पाकिस्तानी इलाकों की चरमपंथी मस्जिदों में जिहाद की तालीम ली थी।
कांग्रेस सदस्य इलियान रोस-लेहटिनेन ने कहा, इस समय इस समिति में हमारे पास पाकिस्तान को दिया जाने वाला शेष सैन्य पैकेज है। हमें इसका लाभ कुछ इस तरह लेना चाहिए ताकि पाकिस्तान को अफगान सरकार और उसके बलों के खिलाफ काम करने के बजाय आतंकवाद से निपटने के मोर्चे पर ज्यादा काम करने के लिए लगाया जा सके। इस सप्ताह कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, प्रशासन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है न कि सैनिकों की वापसी पर रोक लगा देने की, क्योंकि नकली समय-सीमाएं कारगर नहीं होंगी। पाकिस्तान से भी इस संदर्भ में काम करवाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान की ओर अपना हाथ बढ़ाया था लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिका यह नहीं सह सकता कि पाकिस्तान अफगानिस्तान की अस्थिरता में भूमिका निभाए और अपनी सीमाओं के भीतर आतंकियों को पनाहगाहें उपलब्ध करवाना जारी रखे।