भारत में प्रदेशों के नेतृत्व अथवा पुराने अनुभवी नेताओं की गड़बड़ियों की लंबी कहानियां रही हैं, लेकिन सौभाग्यवश शीर्षस्थ राष्ट्रीय नेतृत्व पर कभी निजी ‘डर्टी’ आरोप नहीं लगे। दूसरी तरफ अब्राहम लिंकन की तीन सौ साल पुरानी अमेरिकी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अब पतन के नए रूप दिखने लगे हैं। वाटरगेट कांड तो फिर भी व्हाइट हाऊस में जासूसी करवाने का मामला था, लेकिन बिल क्लिंटन पर राष्ट्रपति निवास में अपनी युवा सहयोगी के साथ वीभत्स यौन आचरण के आरोप सिद्ध हो गए थे। फिर भी अमेरिकी संसद, जनता और उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने माफ कर दिया। देर-सबेर हिलेरी स्वयं विदेश मंत्री बनीं और इस बार राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ताकतवर उम्मीदवार हैं। उनके कार्यकाल और वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों के बावजूद हिलेरी की लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर की तरफ है। बराक ओबामा पहले अश्वेत अमेरिकी राष्ट्रपति थे। इस बार हिलेरी क्लिंटन विजयी हो गईं, तो देश की पहली महिला राष्ट्रपति हो जाएंगी। लेकिन उनके सामने अमेरिका के एक बड़े विवादास्पद अरबपति डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं। चुनाव अभियान में ट्रंप जिस गंदी भाषा और तेवरों के साथ हिलेरी के विरुद्ध आरोप लगा रहे हैं, अमेरिकी चुनाव की गंदगी का नया अध्याय बना रहे हैं। 70 वर्षीय ट्रंप अपनी पूंजी और रुतबे के बल पर टैक्स नहीं चुकाने के गंभीर आरोपों में फंसे रहे हैं। अब नए प्रमाण सामने आए हैं, जिनसे इस बात का भंडाफोड़ हुआ है कि मिस्टर ट्रंप महिलाओं का उत्पीड़न करते रहे हैं। एक नहीं पांच महिलाओं ने आरोप लगाने के साथ प्रमाण में वीडियो तक पेश कर दिया है। हवाई यात्रा, लिफ्ट हो या किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू, महिलाओं के जबरन अंग छूने, चुंबन लेने में नहीं चूकते थे। इससे आगे बढ़ने के विवरण शायद देर-सबेर आ जाएं। बड़े पूंजीपति होने के कारण उन पर यौन उत्पीड़न पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाई। कल्पना कीजिये, राष्ट्रपति बनने पर व्हाइट हाऊस कितना ‘डर्टी’ और ‘डार्क’ हो जाएगा। अमेरिका में बसे विदेशी मूल के लोगों और दुनिया के मुस्लिम समुदाय के प्रति उनके पूर्वाग्रह और घृणित विचार भी चर्चा में हैं। ऐसी हालत में अमेरिकी जनता के भविष्य के लिए लोकतांत्रिक समाज की शुभकामनाएं जरूरी होंगी।
डर्टी ‘ट्रंप’ कार्ड के खतरे
डर्टी पालिटिक्स (गंदी राजनीति) की बात नई नहीं है। लेकिन सत्ता ही डर्टी कार्ड के खाते में चली जाए तो लोकतांत्रिक देश की जनता कई साल नतीजे भुगतती है।
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