अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में दो लगातार हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान के साथ बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। काबुल में सैन्य अकादमी और भीड़भाड़ वाले इलाके में आत्मघाती हमले में सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे। व्हाइट हाउस में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के राजदूतों के साथ बैठक में ट्रंप ने हमलों पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि तालिबान के साथ बातचीत का वक्त बीत चुका है।
उन्होंने कहा कि वे लोगों को मार रहे हैं। मासूमों और परिवारों पर बम बरसा रहे हैं। हालिया हमलों से उन्होंने फिर ये साबित किया है कि वे हत्यारे हैं। हालांकि ट्रंप ने तालिबान से निपटने की अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं की है। उन्होंने सैन्य अभियान के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है। हम तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। ट्रंप ने पिछले साल अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया। वहीं, इसी महीने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि निक्की हेली ने बयान दिया था कि ट्रंप प्रशासन आतंकी गुटों से बात कर सकता है।
They are killing people left & right, innocents are being killed left & right. Bombing in middle of children,in the middle of families, bombing all over Afghanistan. So we don't want any talks with the Taliban: US President Donald Trump (file pic) pic.twitter.com/lV6uM7yr2k
— ANI (@ANI) January 29, 2018
गौरतलब है कि काबुल के सैन्य अकादमी पर सोमवार को हमले के बाद अफगान राजनयिक मजीद करार ने बताया था कि हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार पाकिस्तानी सेना के थे। आतंकियों के पास से जो नाइट विजन चश्मे मिले वे भी पाकिस्तानी सेना ने ब्रिटिश कंपनी से खरीदे थे। अमेरिका और अफगानिस्तान दावा करते हैं कि तालिबान पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी पनाहगाहों के कारण ऐसे हमले करता रहा है। हालांकि पाकिस्तान इन आरोपों का शुरू से खंडन करता रहा है।