ट्रंप का दावा है कि इस बयान के बाद ही भारत से क्लिंटन फाउंडेशन को लाखों डॉलर का चंदा मिला था। दूसरी ओर हिलेरी की टीम इस विज्ञापन को भ्रामक बताते हुए इसका प्रसारण रुकवाने का प्रयास कर रही है। वैसे कमाल की बात यह है कि हिलेरी की छवि भले ही भारत के मित्र की मानी जाती हो मगर वर्तमान चुनाव में अमेरिका के अधिकांश हिंदू मतदाता ट्रंप की मुस्लिम नीतियों को लेकर उनके पक्ष में खड़े बताए जा रहे हैं। कुछ हिंदू कारोबारी ट्रंप के लिए लाखों डॉलर चंदा भी जुटाने में लगे हैं।
दूसरी ओर डेमोक्रेटिक पार्टी ने अब ट्रंप के हालिया बयानों को देश से विश्वासघात करार देते हुए देश वासियों से उन्हें खारिज कर देने का अनुरोध किया है। सीआईए के पूर्व मुखिया और अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री लियोन पेनेटा हिलेरी क्लिंटन के गायब ई-मेलों का पता लगाने के लिए रूस को बढ़ावा देने को लेकर डोनाल्ड ट्रंप को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह कदम विदेशी ताकत द्वारा साइबर जासूसी को मंजूरी देने जैसा है और इस तरह का इंसान अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं बन सकता। डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन को संबोधित करते हुए पनेटा ने कहा, साइबर हमलों से देश की रक्षा की जिम्मेदारी उठा चुके व्यक्ति के रूप में, मेरे लिए यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि राष्ट्रपति पद का कोई उम्मीदवार इतना अधिक गैर जिम्मेदाराना हो सकता है। डोनाल्ड टंप हमारे कमांडर-इन-चीफ नहीं बन सकते। पनेटा ने कहा कि यह समय अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खेल खेलने और इसे दांव पर लगाने का नहीं है।
पनेटा ने कहा, ट्रंप रूसी लोगों से अमेरिकी राजनीति में शामिल होने के लिए कहते हैं। जरा इसके बारे में सोचिए। डोनाल्ड ट्रंप हमारे दुश्मनों में से एक दुश्मन को अमेरिका के खिलाफ हैकिंग या खुफिया कार्यों में शामिल होने के लिए कह रहे हैं ताकि हमारे चुनावों पर असर डाला जा सके। उन्होंने कहा, ट्रंप हमारे सैनिकों को युद्ध करने को कहते हैं, प्रताड़ना को प्रोत्साहन देते हैं, यूरोप से एशिया तक के सहयोगियों को ठुकराते हैं, ज्यादा देशों के पास परमाणु हथियार होने का सुझाव देते हैं और सद्दाम हुसैन से व्लादिमीर पुतिन तक तानाशाहों की तारीफ करते हैं।
दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप समर्थक सुपर पीएसी की ओर से जारी एक राजनीतिक विज्ञापन में हिलेरी क्लिंटन द्वारा आउटसोर्सिंग के समर्थन में 2005 में भारत में दिए गए बयान पर निशाना साधा गया है। इस विज्ञापन में संदेश लिखा गया है, उन्होंने भारत का भरोसा जीत लिया।
राजनीतिक कार्य समिति रिबिल्डिंग अमेरिका नाउ के विज्ञापन में हिलेरी को 2005 में नई दिल्ली में एक भारतीय मीडिया हाउस द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए दिखाया गया है। हिलेरी उस समय सीनेटर थीं। विज्ञापन में आउटसोर्सिंग पर उनके बयानों को दिखाया गया है, जिनमें वह कहती है, मुझे नहीं लगता कि आप प्रभावशाली तरीके से आउटसोर्सिंग को प्रतिबंधित कर सकते हैं, वास्तविकता के खिलाफ कानून बनाने का कोई तरीका नहीं है, इसलिए मेरा मानना है कि आउटसोर्सिंग जारी रहेगी। मुझे नहीं लगता कि आउटसोर्सिंग के खिलाफ कानून बनाने का कोई तरीका है। विज्ञापन में कहा गया है कि हिलेरी ने भाषण दिया और इसके बाद उन्हें क्लिंटन फाउंडेशन के लिए 2008 में भारत से लाखों डॉलर मिले। विज्ञापन के अंत में संदेश दिया गया है, डॉलरों के लिए आउटसोर्सिंग का काम और उन्होंने भारत का भरोसा जीत लिया।
न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार हिलेरी की प्रचार मुहिम देशभर के टीवी चैनलों पर दबाव बना रही है कि वे ट्रंप समर्थक सुपर पीएसी द्वारा प्रायोजित इस विज्ञापन को प्रसारित करना बंद करें। न्यूयार्क पोस्ट के अनुसार हिलेरी की मुहिम का दावा है कि यह सार्वजनिक रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों के बिल्कुल विपरीत है। चंदा किसी अन्य वर्ष में दिया गया था।