चीन ने गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) को अतिरिक्त 30 मिलियन डॉलर अनुदान देने की घोषणा की। यह फैसला ऐसे वक़्त लिया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका द्वारा दिए जा रहे फंड को रोकने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी के लिए फंड को फ्रीज करने के फैसले पर बीजिंग ने "गंभीर चिंता" व्यक्त की थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में घोषणा की कि यह अनुदान डब्ल्यूएचओ को पहले चीन द्वारा प्रदान किए गए 20 मिलियन अमरीकी डालर के अतिरिक्त होगा।
अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर पक्षपाती होने का लगाया था आरोप
अमेरिका ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर सवाल उठाते हुए वित्तपोषण रोका है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आरोप है कि डब्ल्यूएचओ का रवैया पक्षपाती है और वह चीन के पक्ष में झुका हुआ है।
चीन ने अनुदान बढ़ाने के दिए थे संकेत
चीन ने 15 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी में अपने मौद्रिक योगदान को बढ़ाने का संकेत दिया था। चीनी विदेश मंत्रालय के एक अन्य प्रवक्ता झाओ लिजियन ने ट्रम्प की घोषणा के जवाब में कहा था, "चीन डब्ल्यूएचओ को अपनी फंडिंग रोकने की अमेरिका की घोषणा पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है।" उन्होंने कहा कि चीन हमेशा अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और वैश्विक महामारी विरोधी प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में जिनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ का समर्थन करेगा। झाओ ने कहा था, "चीन ने डब्ल्यूएचओ को 20 मिलियन डॉलर (COVID-19 से लड़ने के लिए) प्रदान किए हैं और हम संबंधित मामले का अध्ययन करेंगे।"
चीन और डब्ल्यूएचओ की पारदर्शिता पर उठे सवाल
चीन और डब्ल्यूएचओ दोनों को पिछले साल दिसंबर में कोरोनावायरस की खोज के बारे में पारदर्शिता की कमी पर गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा। हालांकि चीन ने किसी भी कवर-अप के आरोपों से इनकार किया है, चीन का दावा है कि यह पहला देश है जिसने कोविड-19 के बारे में डब्ल्यूएचओ को रिपोर्ट किया।