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दफ्तरों में शिशु के लिए हो स्तनपान की सुविधा - संयुक्त राष्ट्र

यदि दफ्तर स्तनपान कराने वाली मांओं के लिहाज से सुविधाजनक कार्यस्थल में बदल जाए तो महिला कर्मचारियों की काम की रफ्तार तेज हो सकती है। एक अध्ययन कहता है कि पर्याप्त मातृत्व लाभ पाने वाली कामकाजी महिलाओं में दफ्तर में अधिक संतुष्टि देखी गई है। चूंकि स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार पड़ते हैं, ऐसे में मांएं दफ्तर में कम अनुपस्थित रहती हैं।
दफ्तरों में शिशु के लिए हो स्तनपान की सुविधा - संयुक्त राष्ट्र

इस बार संयुक्त राष्ट्र ने वार्षिक स्तनपान सप्ताह की शुरूआत करते हुए अपनी थीम यह ही रखी है। संयुक्त राष्ट्र ने कामकाजी मांओं के लिए कार्यस्थल पर ऐसी बेहतर नीतियों और व्यवस्थाओं के लिए अपील की है जिससे वे अपने बच्चों को स्तनपान करा सकें। स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक चलेगा। इस बार के वार्षिक स्तनपान सप्ताह की विषयवस्तु ‘महिलाएं और काम- आइए इसे संभव बनाएं’ है।

 

यूनिसेफ के प्रमुख एंथनी लेक और विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक मारग्रेट चान ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘हम जानते हैं कि स्तनपान बच्चों को जीवित रखने में और बढ़ने में मदद करता है। यह शिशुओं को संक्रमणों का सामना करने में मदद करता है। यह उनके मस्तिष्क और शरीर के शुरूआती विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराता है और मांओं एवं बच्चों के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है। स्तनपान के फायदे जीवनभर मिलते हैं।’

 

उन्होंने कहा कि लाखों महिलाओं को अपने बच्चों को स्तनपान कराने से रोकने वाली बाधा को पार करने के लिए और भी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। यह बाधा कार्यस्थल की वे नीतियां हैं, जो कामकाजी मांओं के नौकरी के दौरान अपने बच्चों को स्तनपान कराने के अधिकार का समर्थन नहीं करतीं। उन्होंने कहा, यह सिर्फ कामकाजी मांओं और उनके बच्चों का नुकसान नहीं है, बल्कि नियोक्तओं का भी नुकसान है।

 

इसमें हाल ही के एक अध्ययन की ओर इशारा किया गया है, जिसमें पाया गया था कि कम से कम एक साल तक स्तनपान करने वाले बच्चे सिर्फ एक माह तक स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में लंबे समय तक स्कूल में रूकते हैं, बौद्धिक परीक्षणों में ज्यादा अंक लाते हैं और वयस्क होने पर ज्यादा कमाई करते हैं।

 

वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने छह माह से कम उम्र वाले बच्चों के लिए स्तनपान की दर बढ़ाकर वर्ष 2025 तक कम से कम 50 प्रतिशत तक लाने का वैश्विक लक्ष्य रखा है। संयुक्त राष्ट्र के दो अधिकारियों ने कहा, ‘इस महत्वाकांक्षी और बेहद महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें स्तनपान के आड़े आने वाली सभी बाधाओं से निपटना होगा।’

 

सरकारों को राष्ट्रीय विकास योजनाओं में स्तनपान की नीति को प्राथमिकता देकर, स्तनपान को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के लिए संसाधनों में बढ़ोतरी कर और स्तनपान के फायदों को प्रोत्साहन देने के लिए समुदायों एवं परिवारों के साथ काम करते हुए पहल करनी चाहिए।

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