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सबसे गर्म वर्ष हो सकता है 2016: संरा की रिपोर्ट

जलवायु की चरम स्थिति के लिए मानवीय गतिविधियों को दोषी ठहराने वाली संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011-2015 के पांच साल के सबसे गर्म दौर के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए वर्ष 2016 सबसे गर्म साल बन सकता है।
सबसे गर्म वर्ष हो सकता है 2016: संरा की रिपोर्ट

संरा की मौसम एजेंसी वैश्विक मौसम विग्यान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने वैश्विक जलवायु तथा मौसम की चरम स्थितियों पर मानवीय गतिविधियों की अधिकाधिक स्पष्ट होती छाप और जलवायु में ऐसे परिवर्तन जिसके खतरनाक और भारी असर हो सकते हैं, उन पर विस्तृत विश्लेषण प्रकाशित किया है।

उच्च तापमान के साथ जो अन्य बदलाव दर्ज किए गए हैं वे हैं समुद्र का बढ़ता जल स्तर, उत्तर ध्रुवीय सागर में बर्फ का कम होता स्तर, घटते महाद्वीपीय ग्लेशियर और उत्तरी गोलार्ध में बर्फ की पतली होती परत।

जलवायु में हो रहे परिवर्तन के ये सभी संकेतक ग्रीनहाउस गैसों के कारण लंबे समय तक तापमान में वृद्धि की पुष्टि करते हैं। संरा जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पेश की गई डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड पहली बार 400 पीपीएम के उल्लेखनीय स्तर पर पहुंची थी।

दी ग्लोबल क्लाइमेट 2011-2015 में यह भी देखा गया था कि मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाला जलवायु परिवर्तन वैयक्तिक चरम स्थिति की गतिविधियों से सीधे तौर पर संबंधित है या नहीं। डब्ल्यूएमओ महासचिव पेटेरी तालास ने कहा, पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखना और औद्योगिकीकरण-पूर्व से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर तक पहुंचाने का प्रयास करना है।

तालास ने कहा, रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि 2015 में औसत तापमान पहले ही एक डिग्री सेल्सियस के निशान तक पहुंच चुका है। रिकार्ड में हमारे सामने सबसे गर्म पांच साल की अवधि है। वर्ष 2015 सर्वाधिक गर्म साल रहा है। लेकिन वर्ष 2016 में यह रिकार्ड भी पिछड़ सकता है। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव वैश्विक पैमाने पर 1980 के दशक से ही लगातार नजर आ रहे हैं मसलन जमीन की सतह तथा समुद्र दोनों में बढ़ता वैश्विक तापमान, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि, बड़े पैमाने पर पिघलती बर्फ। उन्होंने कहा, इससे चरम स्थिति की घटनाएं हो रही है मसलन गर्म हवाएं, सूखा, अत्याधिक वर्षा और तबाही लाने वाली बाढ़। इसमें सूखा, बाढ़, लू जैसी तबाही लाने वाली घटनाओं का उल्लेख भी किया गया है जिनमें बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई।

विभिन्न वर्षों में गर्मी के चलन को समझाने के लिए पांच वर्ष की अवधि का यह पैमाना काफी मददगार है। मोरक्को में जलवायु परिवर्तन वार्ताओं की जानकारी के लिए डब्ल्यूएमओ वर्ष 2016 में जलवायु की स्थिति पर अपना अस्थायी आकलन 14 नवंबर को जारी करेगा।

भाषा

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