काबुल में रूसी दूतावास ने कहा है कि तालिबान के डर से अफगानिस्तान छोड़कर भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी कैश से भरी चार कारों और एक हेलिकॉप्टर के साथ काबुल से बाहर निकले थे। फिलहाल अशऱफ गनी कहां हैं, यह किसी को भी मालूम नहीं है। हालांकि रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि वह ओमान पहुंच गए हैं और उन्हें ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान ने अपने देश में आने की अनुमति नहीं दी। माना जारहा है कि अब वह अमेरिका से गुहार लगा सकते हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। रूसी न्यूज एजेंसी रिया और कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से एजेंसी ने कहा कि अशरफ गनी को कुछ पैसा छोड़कर ही जाना पड़ा क्योंकि वह उसे रख नहीं पा रहे थे। काबुल में रूसी दूतावास के प्रवक्ता निकिता इंशचेन्को ने कहा, 'चार कारें कैश से भरी हुई थीं। उसके बाद उन्होंने कुछ रकम हेलिकॉप्टर में रखी। इसके बाद भी वह पूरा पैसा नहीं रख पाए और कुछ पैसे यूं ही छोड़कर निकल गए।'
रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि गनी ओमान पहुंच गए हैं और उन्हें ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान ने अपने देश में आने की अनुमति नहीं दी। कहा जा रहा है कि वह ओमान होते हुए अमेरिका निकलने की तैयारी में हैं। अफगानिस्तान से निकलने से ठीक पहले फेसबुक पर लिखी एक लंबी पोस्ट में अशरफ गनी ने कहा था कि वह देश में खूनखराबे को रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं। यदि वह यहां बने रहेंगे तो उनके समर्थक भी सड़कों पर आएंगे और तालिबान के हिंसक रवैये के चलते खूनखराबा होगा।
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने एक ट्वीट में, गनी और उनके सहयोगियों के लिए एक स्पष्ट संदर्भ में कहा, कि उन्होंने "हमारी पीठ के पीछे हमारे हाथ बांध दिए और मातृभूमि को बेच दिया, अमीर आदमी और उसके गिरोह को धिक्कार है।" अफगानिस्तान के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक वीडियो क्लिप में कहा था कि गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि गनी ने अफगानिस्तान के लोगों को संकट और दुख में छोड़ दिया है और उन्हें राष्ट्र द्वारा आंका जाएगा। अफगान उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे गनी और अन्य लोगों के साथ गए थे, ने एक ट्वीट में तालिबान के सामने नहीं झुकने की कसम खाई, लेकिन उन्होंने संदेश में उनके देश छोड़ने की खबरों का जवाब नहीं दिया।
रविवार को तालिबान ने काबुल में एंट्री की थी। तालिबान ने अफगानिस्तान के लगभग समूचे क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया है। अमेरिका और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में आतंक मचाया है। महज 22 दिनों में ही तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमा लिया है। इससे अमेरिका के संरक्षण में तैयार 3 लाख सैनिकों की अफगान सेना को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसने एक के बाद एक तालिबान के सामने हथियार डाल दिए।