पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को 3 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भरे माहौल को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि जनरल कमर जावेद बाजवा को अगले तीन सालों के लिए फिर से आर्मी चीफ नियुक्त किया जाता है। ये आदेश उनका मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने की तारीख से प्रभावी होगा। नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के माहौल को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
दे चुके हैं भारत विरोधी बयान
जम्मू-कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक हालात पर बाजवा कई बार भारत विरोधी बयान दे चुके हैं. पिछले बुधवार को बाजवा ने कहा था कि न तो 1947 में कागज के अवैध एक टुकड़े से और न ही भारत सरकार के हाल के कदम से जम्मू-कश्मीर की सच्चाई बदल जाएगी। इससे पहले बाजवा ने कहा कि कश्मीरियों के न्यायपूर्ण संघर्ष के लिए आखिरी दम तक पाकिस्तान की सेना उनके साथ खड़ी है। पाकिस्तान की सेना पूरी तरह से तैयार है और अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। 58 वर्षीय जनरल बाजवा को नवंबर 2016 में आर्मी चीफ बने थे। यह नियुक्ति तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने की थी।
पाक ने कर दिए थे कारोबारी रिश्ते खत्म
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से पाकिस्तान लगातार उकसावे की राजनीति कर रहा है। पाकिस्तान के नेता और पीएम कई बार भारत को लेकर भड़काऊ बयान दे चुके हैं। इस बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अब यदि पाकिस्तान से बात होगी तो वह पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी। इससे पहले राजनाथ ने 'परमाणु नीति' पर भी बयान दिया था।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध खराब दौर से गुजर रहे हैं। कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के भारत के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पाकिस्तान ने नयी दिल्ली के साथ अपने राजनयिक संबंधों का दर्जा कम करने का फैसला किया था और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था। इसके साथ ही पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने कारोबारी रिश्तों पर भी विराम लगा दिया। वहीं, भारत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को साफ शब्दों में कह चुका है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का उसका फैसला पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है।