अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर खुलकर बात की और मौजूदा भाजपा सरकार और पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा।
अमेरिका में राहुल गांधी के भाषण की मुख्य बातें-
पीएम मोदी किसी की नहीं सुनते
बर्कले यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को अच्छा वक्ता बताया, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि “वह किसी की नहीं सुनते।” मौजूदा सरकार की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आज देश में संसद के मुकाबले पीएमओ ज्यादा ताकतवर हो गया है।
मोदी सरकार का नोटबंदी और जीएसटी जल्दबाजी में लिया गया फैसला
अपने भाषण में राहुल गांधी ने दावा किया कि मोदी सरकार में सांप्रदायिक और ध्रुवीकरण करने वाली ताकतें मजबूत हो रही हैं। नोटबंदी और जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने से देश की अर्थव्यवस्था के पटरी से उतरने का खतरा पैदा हो गया है। राहुल ने कहा कि लिबरल जर्नलिस्ट्स की हत्या की जा रही है, दलितों को पीटा जा रहा है, मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
भाजपा सरकार आरटीआई कानून को नुकसान पहुंचा रही
राहुल गांधी ने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के समय में आरटीआई कानून लाया गया था, ताकि सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ सके। लेकिन भाजपा सरकार आरटीआई कानून को नुकसान पहुंचा रही है।
भारत में अहिंसा का आइडिया आज खतरे में है
राहुल गांधी ने कहा कि अहिंसा का आइडिया आज खतरे में है। यही विचार है, जो मानवता को आगे ले जा सकता है। नफरत, गुस्सा और हिंसा हमें बर्बाद कर सकता है। ध्रुवीकरण की राजनीति बेहद खतरनाक है। राहुल ने कहा कि हिंसा से किसी का भला नहीं होने वाला। भारत सदियों से अहिंसा का पुजारी रहा है और आगे भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा।
राहुल गांधी ने कहा कि देश के माहौल को खराब करने की कोशिशें की जा रही हैं। आज हम एक ऐसे चौराहे पर खड़े हैं, जहां भारतीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता के आधारभूत मूल्य और बहुलतावादी समाज खतरे में है।
सरकार की कश्मीर नीति फेल
कश्मीर मुद्दे पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 9 साल मेहनत करने के बाद कश्मीर में हालात सामान्य किए थे। कांग्रेस सरकार ने लोगों से संवाद किया और पंचायती राज और छोटे स्तर पर लोगों से बात की, जिसका बेहद सकारात्मक असर हुआ था। लेकिन हमने इस पर कभी भाषण नहीं दिया। वहीं, आज कश्मीर में हालात फिर से खराब हैं और इसकी जिम्मेदार भाजपा सरकार की कश्मीर नीतियां है।
बीजेपी मेरे खिलाफ प्रोपेगैंडा कर रही
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा उनके खिलाफ एजेंडा चला रही है और सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। भाजपा ने ऐसे हजारों लोगों की टीम बनाई हुई है, जो मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करते हैं। लेकिन दुनिया मुझे देख रही है और मेरे काम के आधार पर मेरे बारे में राय बनाई जानी चाहिए।
भाजपा और RSS की तरह नहीं है कांग्रेस
राहुल ने कहा कि भारत में कोई लंबे समय तक सत्ता में नहीं रह सकता। कांग्रेस भाजपा और RSS की तरह नहीं है, मेरा काम लोगों को सुनना है, उसके बाद फैसला लेने का है। भाजपा ने लोगों से बात करना बंद कर दिया है। नरेगा, जीएसटी हमारे प्रोग्राम थे जिन पर काम करके भाजपा क्रेडिट ले रही है।
भारत में अधिकांश पार्टियों के अंदर वंशवाद की समस्या
राहुल गांधी ने कहा कि वास्तव में भारत में अधिकांश पार्टियों के अंदर यह समस्या है। इसलिए हम पर ही मत जाइए। अखिलेश यादव डायनेस्ट (सत्ताधारी परिवारों के वंशज), स्टालिन भी डायनेस्ट हैं। धूमल के बेटे डायनेस्ट हैं। यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी डायनेस्ट हैं... भारत इस तरह से चल रहा है। इसलिए मेरा मतलब है... मुझ पर मत जाए... पूरा देश ऐसे चल रहा है। अंबानी अपना बिजनेस चला रहे हैं और इन्फोसिस में भी यही चल रहा है... तो भारत में यह चल रहा है।
राहुल ने कहा, ‘मैं कांग्रेस पार्टी में बदलाव चाहता हूं। अगर आप कांग्रेस पार्टी में देखें तो ऐसे बड़ी संख्या में लोग हैं, जो वंशवाद की देन नहीं हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके पिता, दादा, दादी या परदादा राजनीति में नहीं रहे हैं। मैं इस बारे में कुछ कर नहीं सकता हूं।' उन्होंने कहा कि असली सवाल यह है कि जो शख्स है, क्या वह सक्षम है? क्या वह संवेदनशील है?
कांग्रेस पार्टी में थोड़ा घमंड आ गया था
इस दौरान राहुल ने माना कि यूपीए सरकार के दूसरे टर्म में कांग्रेस अतिआत्मविश्वास में आ गई थी। पार्टी ने लोगों से संवाद करना बंद कर दिया था, इसलिए 2014 के चुनाव में पार्टी की हार हो गई।
प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को तैयार
पहली बार राहुल ने कहा कि वो प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए तैयार हैं। राहुल ने कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को तैयार हूं।
कांग्रेस वरिष्ठों को नहीं भूलती
भाजपा पर कटाक्ष करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस वरिष्ठों को नहीं भूलती है। हम अभी सीनियर और जूनियर नेताओं के बीच एक ब्रिज बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सीनियर नेताओं को एक दम से किनारे नहीं किया जा सकता।