ओम शिनरिक्यो पंथ के सात सदस्यों ने 1995 में टोक्यो सब-वे में जहरीली सरिन गैस का इस्तेमाल कर हमला किया था। इसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों घायल हो गए थे। पंथ के दोषी सात सदस्यों को मौत की सजा सुनाई गई थी जिसमें पंथ नेता शोको असहारा को इसी हफ्ते फांसी दे दी गई है।
समाचार एजेंसी एएफबी के मुबाबिक, जापान के अधिकारियों ने यह जानकारी शुक्रवार को दी। 1995 में ओम शिनरिक्यो पंथ के सदस्यों ने व्यस्त समय में टोक्यो सब-वे पर सरिन गैस छोड़ी थी। सालों की कानूनी कार्रवाई के बाद हमले को दोषियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई इस साल जनवरी में पूरी हो गई थी। पंथ के नेता शोको असहारा जिनका असला नाम चिजुओ मत्सुमोटो हैं, पिछले 22 सालों से जेल में बंद था। उसे इसी हफ्ते फांसी दे दी गई है। हालाकि असहारा को मृत्युदंड की सजा 2006 में ही दी गई थी लेकिन हमले की साजिश रचने वालों ने सजा को लंबे समय तक रूकवाने की कोशिश की।
जापान के जस्टिस मंत्री योको कवाकामी के मुताबिक, असहारा के अलावा पंथ के जिन अन्य सदस्यों को फांसी दी जानी है उनमें टॉमोमासा नाकागावा, टॉमोमित्सू निमी, कियोहाइड हायाकावा, योशीहिरो इनौ, सेइची एंडो और मसामी तुचिया हैं। इन कब फांसी दी जाएगी, इसकी तारीख अभी तय नहीं है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, जापान में फांसी की सजा गुप्त रूप से दी जाती है। पहले से कैदी, उसके परिवार या कानूनी प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी नहीं दी जाती। कैदियों को भी कुछ घंटे पहले ही जानकारी दी जाती है।
क्या है सरिन गैस?
यह जहरीली गैस है और इसे कथित तौर पर रसानियक हमले के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी सुई के नोक के बराबर मात्रा किसी भी इंसान के लिए घातक हो सकती है। आमतौर पर इसके वाष्प के संपर्क में आने के 15 मिनट के अंदर व्यक्ति की मौत हो जाती है। तरल रूप में त्वचा के संपर्क में आने पर भी यह घातक हो सकती है। इसके संपर्क में आने के बाद शरीर में मरोड़-ऐठन और श्वसनतंत्र के काम करना बंद कर देने से मौत हो सकती है।