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आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख जलालुद्दीन की मौत, तालीबान ने की घोषणा

अफगान तालिबान ने खबर दी है कि आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी की मौत हो गई...
आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख जलालुद्दीन की मौत, तालीबान ने की घोषणा

अफगान तालिबान ने खबर दी है कि आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी की मौत हो गई है। जलालुद्दीन की मौत उनकी बीमारी की वजह से हुई जिससे वह लंबे समय से पीड़ित था।

तालीबान ने एक बयान जारी करके कहा है कि जलालुदद्दीन हक्कानी, जिसका बेटा फिलहाल संगठन का उप प्रमुख है, की लंबी बीमारी की वजह से मौत हो गई है। तालिबान ने यह संदेश अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा।

तालीबान ने जलालुद्दीन को जिहादी पर्सनालिटीज़ में से एक ‘महान’ (व्यक्ति) बताया।

1980 के दौरान हक्कानी को अफगान मुजाहिद्दीन कमांडर के रूप में पहचान मिली थी। उस समय हक्कानी ने अमेरिका और पाकिस्तान की मदद से सोवियत संघ के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। कहा जाता है कि जलालुद्दीन उस समय कुख्यात हुआ जब अमेरिकी खुफिया एंजेसी से इसके संबंध मजबूत हुए। इतना ही नहीं अमेरिकी संसद के सदस्य चार्ली विल्सन भी उससे मिल चुके थे।

तालिबान हुकूमत में रह चुका था मंत्री;
जलालुद्दीन हक्कानी के अफगानिस्तान में सक्रीय अन्य आंतकी संगठन तालीबान और अलकायदा प्रमुख ओसामा से भी अच्छे संबंध थे। अफगानिस्तान में जिस समय तालिबान की हुकूमत थी, उसमें हक्कानी मंत्री हुआ करता था। जलालुद्दीन को अरबी भाषा बहुत अच्छी तरह आती थी।

समाचार एजेंसियों द्वारा तालिबान के बयान के हवाले से बताया गया है। तालीबान के अनुसार; जलालुद्दीन ने ने अल्लाह के मजहह के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना किया। साथ ही उसने अपने जीवन के आखिरी समय में लंबी बीमारी का भी सामना किया।' जलालुद्दीन को अफगानिस्तान में दफनाया गया। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उसकी मौत कब और कहां हुई। हाल के वर्षों में कई बार उसकी मौत को लेकर अफवाह सामने आती रही हैं।

ओसामा, मुल्ला उमर और अब जलालुद्दीन हक्कानी;
अफगानिस्तान में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन, तालीबान के मुल्ला उमर के बाद आतंक की दुनिया में जलालुद्दीन हक्कानी का ही नाम प्रमुखत से आता था। जलालुद्दीन की उम्र 70 साल के करीब थी।

साल 2015 भी आई थी मरने की खबर;
साल 2015 के अगस्त महीने में भी जलालुद्दीन के मरने की खबर आई थी। हक्कानी ने अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ कुछ भयानक हमले किए थे। उस वक्त भी दफनाए जाने वाले स्थान और मौत के समय को लेकर चीजे़ं स्पष्ट नहीं थीं।

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