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जेहादियों के डर से अमेरिका गईं तस्‍लीमा नसरीन

बांग्लादेश में ब्‍लॉगरों पर बढ़ते हमलों के बीच नारीवादी लेखिका तस्‍लीमा नसरीन ने अमेरिका में एक एनजीओ की शरण ली है। कुछ समय पहले अपनी सुरक्षा को लेकर उन्‍होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलने की कोशिश की थी।
जेहादियों के डर से अमेरिका गईं तस्‍लीमा नसरीन

नई दिल्‍ली। प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका तस्‍लीमा नसरीन को जेहादियों से जान का खतरा बढ़ गया है, जिसे देखते हुए उन्‍होंने अमेरिका में पनाह ली है। एक एनजीओ ने उन्‍हें अमेरिका जाने और सुरक्षा देने में मदद की है। अमेरिकी एनजीओ 'सेंटर फॉर इनक्वॉयरी' (सीएफआई) ने अपनी वेबसाइट पर इस बात का खुलासा किया है। सीएफआई की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस्‍लामी कट्टरपंथियों से जान के खतरे के बीच सेकुलर लेखिका तस्‍लीमा नसरीन को सुरक्षा में अमेरिका लाया गया है। इस घटनाक्रम से भारत में तस्‍लीमा नसरीन की सुरक्षा व्‍यवस्‍था को लेकर भी सवाल खड़े हो सकते हैं। 

अल कायदा और अन्य इस्‍लामी कट्टरपंथियों से खुली सोच वाले कार्यकर्ताओं की हिफाजत के लिए सीएफआई ने एक आपात कोष बनाया है। संस्‍था ने लोगों से इस कोष में दान करने की अपील भी की है। फरवरी से अब तक बांग्लादेश में सेकुलर सोच वाले तीन ब्‍लॉगरों को मौत के घाट उतारा जा चुका है जबकि कई लोगों को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। सीएफआई की विज्ञप्ति के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्‍लीमा नसरीन खासतौर पर उन चरमपंथियों के निशाने पर हैं जो अभिजित रॉय, वाशीकुर्रहमान और अनंत बिजॉय के कत्‍ल के लिए जिम्‍मेदार हैं। नसरीन को हाल ही में अल कायदा से जुड़े चरमपंथियों का अगला निशाना बताया गया था, जिसे देखते हुए सीएफआई पिछले सप्‍ताह उन्‍हें अपनी सुरक्षा में अमेरिका ले आया है। वह गत बुधवार को अमेरिका के बफैलो शहर पहुंची हैं। एनजीओ का कहना है कि अमेरिका में नसरीन को दी गई सुरक्षा अस्‍थायी है।  

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले खुद तस्‍लीमा नसरीन ने आशंका जताई थी कि बांग्लादेश के आतंकी संगठन पश्चिम बंगाल के रास्ते दिल्ली आकर उनकी हत्या कर सकते हैं। इस्‍लामिक कट्टपंथियों के खिलाफ लिखने की वजह से वह कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं और उनके खिलाफ जारी फतवों के बाद उन्‍हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वह लंबे समय से भारत में रह रही हैं। कुछ समय पहले तस्‍लीमा नसरीन ने अपनी सुरक्षा को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने की कोशिश की थी। अब जिस तरह एक एनजीओ की मदद से वह भारत छोड़कर अमेरिका गई हैं उससे यह संदेश जा सकता है कि भारत उन्‍हें सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम रहा। 

 

 

 

 

 

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