कई मौकों पर कट्टपंथियों के गुस्से का सामना कर चुकीं जानी मानी बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का मानना है कि सेंसरशिप का सबसे बुरा रूप स्व सेंसरशिप है। बांग्लादेश में लेखकों, अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और नास्तिक ब्लाॅगरों के खिलाफ बढ़ते हमलों पर तसलीमा ने कहा कि घातक परिणामों से बचने के लिए अब कई लेखक स्व सेंसरशिप अपनाने को मजबूर हो गए हैं।
हाल ही में चर्चा में चल रही बांग्ला फिल्म निरबाशितो की निर्देशिका चुरनी गांगुली का कहना है कि यह फिल्म विवादित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के जीवन पर आधारित नहीं है। हां लेकिन यह सच है कि फिल्म तसलीमा के निर्वासन के बाद की घटना से प्रेरित है।
अपने देश के चरमपंथियों की ओर से मौत की धमकियां मिलने के बाद अमेरिका जा चुकी विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा कि उन्होंने भारत को स्थायी तौर पर नहीं छोड़ा है और जब उन्हें सुरक्षित महसूस होगा, वह लौट आएंगी।
बांग्लादेश में ब्लॉगरों पर बढ़ते हमलों के बीच नारीवादी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अमेरिका में एक एनजीओ की शरण ली है। कुछ समय पहले अपनी सुरक्षा को लेकर उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलने की कोशिश की थी।