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बांग्लादेश में हिंदू शिक्षक को मिला न्याय

बांग्लादेश के अधिकारियों ने एक हाई स्कूल के हिंदू प्रधानाचार्य को आज उनके पद पर बहाल कर दिया। अधिकारियों ने माना उनकी बर्खास्तगी अवैध थी। बर्खास्त शिक्षक से उठक-बैठक करा कर उसका अपमान करने वाले सांसद के खिलाफ पूरे देश में हजारों शिक्षकों ने रैलियां निकालीं।
बांग्लादेश में हिंदू शिक्षक को मिला न्याय

पिछले कई दिनों से हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के बीच इसे अच्छी खबर के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश में लंबे समय से हिंदुओं और निरपेक्ष लोगों पर हमलों का दौर जारी है। उपनगरीय बंदरगाह शहर नारायणगंज में स्थित हाईस्कूल की संचालन समिति को भंग कर दिया गया है। उसने इस्लाम का अपमान करने और अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने  के लिये प्रधानाचार्य श्यामल कांति भक्त को बर्खास्त कर दिया था।

शिक्षा मंत्री नुरूल इस्लाम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, प्रधानाचार्य  अन्याय के शिकार हैं और उनकी बर्खास्तगी अवैध थी। इसलिए उनकी बहाली तथा स्कूल की प्रबंधन समिति को भंग करने के आदेश जारी किए गए हैं।

इस मामले पर एक सरकारी जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई की गयी है। पियार सत्तार लतीफ हाईस्कूल को चलाने के लिए इस बंदरगाह शहर के प्रशासनिक प्रमुख को मिलाकर एक तदर्थ संचालन समिति बनाई गई है।

स्कूल की संचालन समिति की संभवत: साजिश पर स्थानीय लोगों ने भक्त की पिटाई की थी। समिति ने स्थानीय सांसद का समर्थन भी जुटा लिया था जिन्होंने उन्हें इस्लाम के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर कान पकड़कर उठक-बैठक करने का आदेश दिया था। मंत्री ने कहा, जांच समिति ने पाया कि भक्त पर लगाए गए आरोप सही नहीं थे।

प्रबंधन समिति ने दो दिन पहले यह कहते हुए भक्त को बर्खास्त कर दिया था कि उन्होंने विद्यार्थियों का उत्पीडन किया, शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पैसे लिए, इस्लाम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की, बिना छुट्टी के गैरहाजिर रहे और काम पर विलंब से आते थे।

उनकी बहाली ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले हाईकोर्ट ने भक्त के अपमान का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार से शुक्रवार की इस घटना पर रिपोर्ट मांगी थी।

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