चीन की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के उप राष्ट्रपति वांग चिशान से मुलाकात की। इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन संबंधों को स्थिरता का परिचायक होना चाहिए। रविवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग चिशान से मुलाकात की। बाद में उनकी चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विश्वासपात्र माने जाने वाले उपराष्ट्रपति वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में, जयशंकर ने कहा, 'हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया अधिक अनिश्चित है, हमारे संबंध इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।'
वांग चिशान के साथ जयशंकर की यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी चीन पहुंचे थे। हालांकि, जयशंकर का दौरा पहले से तय था। वे 3 दिवसीय दौरे पर रविवार को पेइचिंग पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "वुहान शिखर सम्मेलन के बाद मैं बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति का विस्तार हुआ है।"
पिछले साल मोदी और शी के बीच वुहान शिखर सम्मेलन दोनों नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक थी, जिसने डोकलाम पर 73-दिवसीय सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य किया था।
जयशंकर का स्वागत करते हुए, उपराष्ट्रपति वांग ने कहा, "मुझे यह भी पता है कि आप चीन में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय राजदूत हैं और आपने हमारे दो देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।" उन्होंने उम्मीद जताई कि यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देगी।
माना जा रहा है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यात्रा के दौरान इस साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के इंतजाम को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत होगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। यह दौरा ऐसे समय भी हो रहा है, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे 2 केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है। इसे चीन ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार देते हुए आपत्ति जाहिर की थी, जिसे भारत ने खारिज किया था।
संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले के बहुत पहले उनका दौरा तय हो चुका था। राजनयिक से विदेश मंत्री बने एस जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे। किसी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था।
चार एमओयू पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद
पहली बैठक पिछले साल नई दिल्ली में हुई थी। जयशंकर की यात्रा के दौरान चार सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया वांग के साथ उनकी वार्ता के दौरान राष्ट्रपति के इस साल दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए दौरे के इंतजामों को अंतिम रूप देने के मुद्दे पर भी बातचीत होगी। वर्ष 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक चले गतिरोध के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों को गति दी थी। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस साल पहली बार द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार करने की उम्मीद है।
एजेंसी