संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में शुक्रवार को चीन द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का मामला उठाए जाने पर भारत ने शनिवार को कड़ा ऐतराज जताया भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत अन्य देशों से यह उम्मीद करता है कि वे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे। हमें उम्मीद है कि चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के माध्यम से हो रहे अवैध निर्माण को पूरी तरह रोकने की दिशा में काम करेगा।
कश्मीर मुद्दे पर चीन ने क्या कहा था
चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने शुक्रवार को यूएन में कहा था कि कश्मीर एक विवादित मुद्दा है और इसका समाधान शांतिपूर्वक, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के नियमों, सुरक्षा परिषद के संकल्पों और द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि एकतरफा तरीके से की गई कोई भी कार्रवाई यथास्थिति को नहीं बदल सकती है। भारत और पाकिस्तान पड़ोसी देश हैं और चीन उम्मीद करता है कि यह विवाद प्रभावी तरीके से खत्म होगा और दोनों पक्षों के बीच संबंधों में स्थिरता आएगी।
हाल का घटनाक्रम पूरी तरह से देश का ‘अंदरुनी मामला’ है
इसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं। हाल का घटनाक्रम पूरी तरह से देश का अंदरुनी मामला है। रवीश कुमार ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के अवैध निर्माण को रोकेंगे।’
पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त को वापस भेजा था
बता दें कि पिछले महीने भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। यह फैसला 31 अक्टूबर से प्रभावी होगा। इस फैसले के बाद से पाकिस्तान ने भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों में कटौती कर दी थी और भारतीय उच्चायुक्त को वापस भेज दिया था।