यूएनएचआसी में जवाब देने के अपने हक का इस्तेमाल करते हुए भारत ने पिछले तीन दिनों में दूसरी बार बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया। भारत ने कहा कि आतंकवाद के वैश्विक गढ़ के तौर पर अपनी पहचान बना चुके देश की बदकिस्मती यह है कि वह मानवाधिकारों की बात कर रहा है। भारत ने कहा, आतंकवाद को पालने-पोसने वाली, इसे बढ़ावा देने वाली और इसे अमल में ला रही सरकार का यह आला दर्जे का पाखंड ही है कि वह मानवाधिकार जैसे विषयों में घुसने की कोशिश कर रही है।
अपने जवाब में भारत ने कहा कि पिछले दो दशकों में दुनिया के सबसे ज्यादा वांछित आतंकवादियों ने पाकिस्तान में शरण ली है। बदकिस्मती से यह परंपरा आज भी जारी है और यह तब नहीं चौंकाता जब वहां की सरकार आतंकवाद का इस्तेमाल अपने देश के नीतिगत उपकरण के तौर पर करती है। भारत ने कहा कि भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर में मौजूदा अशांति की जड़ें पुलिस कार्रवाई में हिज्बुल मुजाहिदीन के स्वयंभू आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी की मौत से जुड़ी हुई हैं जिसके तार सीमा पार से जुड़े हैं।