यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी मलेशिया (यूटीएम) के इस मोड्यूल के स्लाइडों को ऑनलाइन पोस्ट करने के बाद विवाद खड़ा हो गया। इन स्लाइडों में दावा किया गया है कि हिंदू अपने शरीर के मैल को निर्वाण प्राप्त करने के अपने धार्मिक कर्म का हिस्सा मानते हैं।
उपशिक्षा मंत्री पी कमलनाथन द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने कहा कि वह इस मोड्यूल की समीक्षा करेगा। भारतीय मूल के कमलनाथन ने फेसबुक पर पोस्ट किया, मैंने यूटीएम के कुलपति से बात की है और उन्होंने इस भूल को स्वीकार कर लिया है। मलय मेल ऑनलाइन ने आज खबर दी कि इस मोड्यूल में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। अधिकारी इस सुझाव से पूरी तरह सहमत थे कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी भूल दोबारा न हो।
मुस्लिम बहुल मलेशिया की 2.8 करोड़ की जनसंख्या में 60 फीसदी मलय हैं जो पूरी तरह मुसलमान हैं। पच्चीस फीसदी चीनी हैं जो ईसाई और बौद्ध हैं। आठ फीसदी जातीय भारतीय हैं जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं।
मंत्री कमलनाथन ने कहा कि हिंदुओं को गंदे के रूप में चित्रण करने वाले यूटीएम मोड्यूल के स्लाइड इस धर्म को गलत तरीके से पेश करने के लिए जानबूझकर तैयार किया गया है। उन्होंने इन स्लाइडों पर अपनी नाखुशी प्रकट की। न्यूज पोर्टल के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह उच्च शिक्षा मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने को कहेंगे कि इस्लामिक और एशियाई सभ्यता अध्ययन के इस मोड्यूल की सभी सामग्री को छात्रों के सामने पेश करने से पहले धार्मिक विशेषज्ञों द्वारा परखा जाए।
इस मोड्यूल में यह भी दावा किया गया है कि इस्लाम ने ही भारत में हिंदुओं के जीवन में शिष्टाचार शुरू किया। सिख धर्म की उत्पति के अध्यापन पर केंद्रित एक अन्य स्लाइड में दावा किया गया है कि इस धर्म के संस्थापक गुरु नानक की इस्लाम के बारे में मामूली समझ थी और उन्होंने सिख पंथ की स्थापना करने में इसे आसपास की हिंदू शैली के साथ मिला लिया।
मलेशियन इंडियन प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ने इन स्लाइडों की निंदा करते हुए विश्वविद्यालय से इसे वापस लेने और माफी मांगने की मांग की है। हिंदू धर्म एसोसिएशन ऑफ मलेशिया के अध्यक्ष ने यूटीएम के खिलाफ सुंगई पेटानी जिले में एक पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई है।