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ऐतिहासिक ईरान परमाणु समझौते पर सहमति

दुनिया के छह शक्तिशाली देशों के साथ ईरान के ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर सहमति बनी
ऐतिहासिक ईरान परमाणु समझौते पर सहमति

वियना। ईरान और दुनिया के छह सबसे ताकतवर देशों  (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और जर्मनी) के बीच न्यूक्लियर विवाद सुलझ गया है और ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर सहमति बन गई है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कुछ अंतिम अवरोधों को दूर करने के बाद मंगलवार सुबह ऐतिहासिक समझौते पर सहमति बनी। एक वरिष्ठ राजनयिक ने बताया कि इसमें तेहरान और वाशिंगटन के बीच वह समझौता भी शामिल है जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों को निगरानी के लिए ईरानी सैन्य स्थलों पर जाने की इजाजत होगी। समझौते के तहत ईरान को संयुक्त राष्ट्र के निगरानी के आग्रह को चुनौती देने का अधिकार भी होगा। ऐसी स्थिति में मध्यस्थता बोर्ड इस बारे में फैसला करेगा। इस मध्यस्थता बोर्ड में ईरान के साथ दुनिया की छह प्रमुख शक्तियां शामिल रहेंगी।

 

नरम पड़ा ईरान  

इससे पहले ईरान ने कहा था कि वो संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को ऐसे स्थलों पर जाने की इजाजत कभी नहीं देंगे। ईरान ने दलील दी थी कि इसकी आड़ में उनकी सैन्य गोपनीयता की जासूसी होगी। ईरानी शीर्ष अधिकारियों के इस रुख में नरमी आई है। इस समझौते के बाद ईरान पर लंबे समय से लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।

 

तेल की कीमतों में गिरावट

ईरान के साथ परमाणु समझौते की खबर सामने आते ही वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई। अमेरिकी बाजार में कच्चे तेल की कीमत 56.96 प्रति बैरल से 51.12 पर बैरल आ गई। विशेषज्ञों के मुताबिक इस समझौते के लागू होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें और भी कम हो सकती हैं। हालांकि अभी इसमे कुछ समय लगेगा।

 

भारत का भी फायदा

ईरान के साथ भारत के हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। पश्चिमी देशों को डर था कि ईरान परमाणु बम विकसित कर सकता है। पश्चिमी देशों के दबाव में भारत ने यूएन में ईरान के खिलाफ वोटिंग की थी। ईरान के इस समझौते पर भारत समेत कई देशों की नजरें लगी हुई थीं जो ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना चाहते थे। इस समझौते पर सहमति के बाद ईरान से व्यापार के रास्ते खुल गए हैं। ईरान तेल का उत्पादन तेजी से बढ़ाएगी। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमत पर काबू पाया जा सकेगा। भारत भी ईरान से कम कीमत पर तेल आयात कर सकेगा। जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी धार मिलेगी। तेल के साथ ही आईटी समेत अन्य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच व्यापार की संभावनाएं खुलेंगी।

 

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