गुलाम कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों ने पाकिस्तान को टैक्स नहीं देने का ऐलान किया है। पाकिस्तान सरकार की ओर लागू टैक्स सिस्टम का हजारों की संख्या में सड़क पर उतरकर लोग विरोध कर रहे हैं। पूरे इलाके में आर्थिक गतिविधयां ठप है।
स्थ्ाानीय कारोबारियों का आरोप है कि पाकिस्तान दूसरे इलाकों के मुकाबले गिलगित-बाल्टिस्तान में ज्यादा टैक्स वसूल रहा है। मूलभूत अधिकार, सब्सिडी या संवैधानिक अधिकारों के बिना टैक्स में इजाफा किया गया है। टैक्स से इकट्ठा रकम कभी भी गिलगित-बाल्टिस्तान के विकास और कल्याण पर खर्च नहीं किया जाता। कारोबारी समुदाय का कहना है कि जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस इलाके को विवादित माना है तो फिर इस्लामाबाद को यहां किसी भी तरह का टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं है। ऐसा करना अवैध और अस्वीकार्य है।
एक स्थानीय कारोबारी ने बताया, "अध्यादेश के जरिए पाकिस्तान इस इलाके में टैक्स बढ़ा रहा है।" कारोबारियों ने कहा कि पाकिस्तान जब तक इस टैक्स को वापस लेने का फैसला नहीं लेता, तब तक हम पूरी ताकत से प्रदर्शन करते रहेंगे। स्कर्दू में हुए प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने कहा,"क्या आप अपने घरों में रखे चिकन के लिए भी पाकिस्तान को टैक्स देंगे? क्या आप दूध के लिए घर में पाली गई गाय के लिए टैक्स चुकाएंगे?" टैक्स व्यवस्था को अन्यायपूर्ण करार देते हुए एक प्रदर्शनकारी नेता ने कहा, "यदि आपके परिवार में पांच से अधिक सदस्य होते हैं तो आपका टैक्स चुकाना होगा।"
प्रदर्शन कर रहे एक कारोबारी ने कहा,"हम टैक्स नहीं चुकाएंगे।" कारोबारी ने कहा,"मैं कराची, क्वेटा, लाहौर और पाकिस्तान के अन्य इलाकों में रहने वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से अपील करता हूं कि वे तैयार रहें, हम अब इस्लामाबाद के लिए कूच करेंगे।" एक अन्य आंदोलनकारी ने इस्लाम का हवाला देते हुए कहा,"इस्लाम का सिद्धांत हैं कि बिना अधिकारों के टैक्स नहीं लिया जा सकता। हमारा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, तो फिर हम टैक्स क्यों भरें।"