प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के वर्चस्व वाले छह देशों के संगठन एससीओ के वार्षिक सम्मेलन में शिरकत करने के लिए गुरुवार को ताशकंद पहुंचेंगे। सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के तौर तरीकों पर बातचीत केंद्रित रहने की संभावना है। भारत और पाकिस्तान इस संगठन के पूर्ण सदस्य बनाए जाने वाले हैं जो मुख्यत: सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों को देखता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी उज्बेकिस्तान की राजधानी में इस दो दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व वहां के राष्ट्रपति ममनून हुसैन करेंगे। सम्मेलन के मौके पर ही मोदी की कल शी से द्विपक्षीय भेंटवार्ता होने की संभावना है। इस भेंटवार्ता में मोदी एनएसजी में भारत की सदस्यता हासिल करने की कोशिश के प्रति चीन के समर्थन की मांग कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को कहा कि दोनों नेता उज्बेक राजधानी में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे। हुआ ने इस अवधारणा का खंडन किया कि चीन एनएसजी में भारत का प्रवेश ब्लॉक कर रहा है। गुरुवार को सियोल में एनएसजी का दो दिवसीय वार्षिक पूर्ण सत्र शुरू होगा जिसमें भारत के सदस्यता संबंधी आवेदन पर चर्चा हो सकती है।
एससीओ जैसे संगठन की सदस्यता मिलने से भारत को सुरक्षा एवं रक्षा से जुड़े मामलों में अपनी राय पुरजोर तरीके से रखने में मदद मिलेगी। क्षेत्र में स्थायी शांति, स्थायित्व, उचित एवं तर्कसंगत राजनीतिक एवं आर्थिक व्यवस्था का निर्माण तथा आतंकवाद एवं चरमपंथ से संघर्ष जैसे विषय पिछले कुछ सालों के दौरान एससीओ के प्रमुख विषय रहे हैं। एससीओ के ज्यादातर सदस्यों के पास तेल और गैस के भंडार होने से उम्मीद है कि भारत को इस संगठन का हिस्सा बनने के बाद मध्य एशिया में बड़ी हाइड्रोकार्बन परियोजनाओं में बड़ी पहुंच मिल सकती है। एससीओ ने भारत को इस संगठन का सदस्य बनाने की प्रक्रिया पिछले साल जुलाई में ही रूस के उफा में अपने सम्मेलन में शुरू कर दी थी जब भारत, पाकिस्तान और ईरान को सदस्यता देने की प्रशासनिक बाधाएं दूर की गई थीं। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणतंत्र, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने की थी। भारत, ईरान और पाकिस्तान वर्ष 2005 में अस्ताना सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में एससीओ में शामिल किए गए थे। रूस एससीओ में भारत की सदस्यता के पक्ष में रहा है जबकि चीन पाकिस्तान को उसमें शामिल करने पर जोर देता रहा है।