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श्रीलंका संकट: रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, बोले- हमारे सामने बड़ी चुनौती

आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को आज नया राष्ट्रपति मिल गया। रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका...
श्रीलंका संकट: रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, बोले- हमारे सामने बड़ी चुनौती

आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को आज नया राष्ट्रपति मिल गया। रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के राष्ट्रपति बन गए हैं। सांसदों ने रानिल को अपना नया राष्ट्रपति चुना है। रानिल को नया राष्ट्रपति चुन लिया गया है। बुधवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। रानिल विक्रमसिंघे को 134 सांसदों का समर्थन मिला है। उनके प्रतिद्वंदी दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिले। राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट ही मिले।

श्रीलंका के नवनियुक्त राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि देश बहुत मुश्किल स्थिति में है, हमारे सामने बड़ी चुनौतियां हैं।

बता दें कि गोटाबाया राजपक्षे के श्रीलंका से भागने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी दी गई। फिर उन्हें अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया। रानिल विक्रमसिंघे का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म होगा। वे गोटाबाया राजपक्षे के बचे हुए कार्यकाल को पूरा करेंगे।

बता दें कि इससे चुनाव के बीच साजिथ प्रेमदासा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा था कि देश का नया राष्ट्रपति जो कोई भी बने लेकिन भारत जिस तरह अब तक श्रीलंका का साथ और मदद करता रहा है आगे भी मदद करता रहे।

उन्होंने आगे कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी, भारत के सभी राजनीतिक दलों और भारत के लोगों को इस आपदा से बाहर आने के लिए मां लंका और उसके लोगों की मदद करने का आग्रह करता हूं। साजिथ प्रेमदासा ने भारत के मदद की सराहना की और कहा था कि वो भारत से मदद और समर्थन मांगना जारी रखेंगे।

बता दें कि आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की भारत की ओर से काफी मदद की गई है। भारत ने अब तक श्रीलंका को 3.8 अरब डॉलर की मदद की है।

श्रीलंका की संसद में 44 साल में पहली बार आज सीधे राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में थे। 225 सदस्यीय सदन में जादुई आंकड़ा छूने के लिए 113 का समर्थन चाहिए था। रानिल विक्रमसिंघे को इसके लिए 16 वोटों की और जरूरत थी। विक्रमसिंघे को तमिल पार्टी के 12 वोटों में से कम से कम 9 पर भरोसा था। हालांकि विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले हैं।

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