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थाईलैंड की राजमाता सिरिकित का 93 साल की आयु में निधन, जानें इनके बारे में

थाईलैंड की राजमाता कही जाने वाली पूर्व महारानी सिरिकित का शुक्रवार को 93 वर्ष की आयु में निधन हो...
थाईलैंड की राजमाता सिरिकित का 93 साल की आयु में निधन, जानें इनके बारे में

थाईलैंड की राजमाता कही जाने वाली पूर्व महारानी सिरिकित का शुक्रवार को 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

शाही परिवार से संबंधित जानकारी देने वाले ‘द रॉयल हाउसहोल्ड ब्यूरो’ ने कहा कि उन्होंने बैंकॉक के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।

ब्यूरो ने बताया कि वह 17 अक्टूबर से रक्त संक्रमण से जूझ रही थीं और चिकित्सा टीम के प्रयासों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। बिगड़ती सेहत के कारण वह हालिया वर्षों में अधिकतर सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहती थीं। उनके पति किंग भूमिबोल अदुलयादेज का अक्टूबर 2016 में निधन हो गया था।

सिरिकित का जन्म 12 अगस्त 1932 को बैंकॉक में हुआ था। वह 1950 से 2016 तक थाईलैंड की क्वीन रहीं।

महल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, महामहिम की तबीयत शुक्रवार तक लगातार बिगड़ती रही और रात 9 बजकर 21 मिनट पर उनका निधन हो गया, वो 93 वर्ष की थीं और चुलालोंगकोर्न अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका।

बयान में यह भी बताया गया कि क्वीन सिरिकित 2019 से अस्पताल में भर्ती थीं और इस दौरान उन्हें कई बीमारियों ने घेर लिया था। इसी महीने उन्हें ब्लड इन्फेक्शन भी हुआ था, जिससे उनकी हालत और खराब हो गई। महल के अनुसार, राजा वजिरालोंगकोर्न ने शाही परिवार के सदस्यों को एक वर्ष तक चलने वाले शोक काल की शुरुआत करने का निर्देश दिया है।

थाईलैंड की जनता अपनी प्रिय क्वीन माता सिरिकित के निधन पर शोक मना रही है, वो एक ऐसी शाही हस्ती थीं जिनकी गरिमा और प्रभाव ने देश की आधुनिक राजशाही को आकार देने में अहम भूमिका निभाई थी। 2012 में स्ट्रोक आने के बाद से रानी सिरिकित ने सार्वजनिक जीवन से काफी दूरी बना ली थी, लेकिन इसके बावजूद वो थाई जनता के दिलों में सम्मान और प्रेम की प्रतीक बनी रहीं।

जानिए कौन थीं क्वीन सिरिकित?

क्वीन सिरिकित का जन्म 1932 में हुआ था। उसी साल जब थाईलैंड एक पूर्ण राजतंत्र से संवैधानिक राजतंत्र बना। सिरिकित कितियाकर थाईलैंड के फ्रांस में राजदूत की बेटी थीं। पेरिस में उन्होंने शिक्षा हासिल की। पेरिस में ही उनकी मुलाकात राजा भूमिबोल अदुल्यादेज से हुई। इसी के बाद दोनों ने शादी कर ली। 1956 में, जब राजा भूमिबोल ने दो हफ्ते के लिए बौद्ध भिक्षु बनने की शिक्षा लेने के लिए मंदिर में समय बिताया, तब सिरिकित ने अस्थायी रूप से रीजेंट (राजप्रतिनिधि) के रूप में कार्य किया।

 

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