तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने शुक्रवार को एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर वह पाकिस्तान के रुख का समर्थन करेगा क्योंकि यह दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है। पिछले साल सितंबर में एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा में अपने संबोधन के दौरान भी कश्मीर का मामला उठाया था, जिसके बाद भारत ने तुर्की के राष्ट्रपति के बयान को निंदनीय बताते हुए आंतरिक मामला करार दिया था।
राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए ये बातें कही है। वो दो दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान गए थे।
'न्याय और निष्पक्षता के आधार पर हल किया जा सकता'
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख के प्रति अपने देश का समर्थन करते हुए तुर्की राष्ट्रपति ने कहा कि इसे संघर्ष या उत्पीड़न के माध्यम से नहीं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के आधार पर हल किया जा सकता है। आगे कहा, "हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों को दशकों से असुविधाओं का सामना करना पड़ा है और ये कष्ट हाल के दिनों में उठाए गए एकतरफा कदमों के कारण गंभीर हो हुए हैं।" वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए तुर्की को कश्मीर की स्थिति पर उचित जानकारी रखने का आह्वान किया है।
‘जितना पाकिस्तान के लिए उतना ही हमारे लिए’
उन्होंने कहा कि आज कश्मीर का मसला हमारे लिए उतना ही करीब है जितना की पाकिस्तान के लिए करीब है। बता दें, बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 और 35A को हटा कर विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था। जिसके बाद पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों खत्म कर लिया था और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था।
‘इस मामले में दखल स्वीकार नहीं’
भारत जम्मू-कश्मीर को अभिन्न अंग मानता है। साथ ही किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार करता है। पिछले दिनों अमेरिका द्वारा दखल देने के मामले पर कहा गया था कि यह पाकिस्तान के साथ एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसमें किसी अन्य के सहयोग की जरूरत नहीं है।