अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तालिबान के साथ हुए एक ऐतिहासिक समझौते की तारीफ की। ट्रम्प ने कहा कि वह जल्द ही तालिबानी नेताओं से 'व्यक्तिगत' तौर पर मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि तालिबान शांति के लिए तैयार है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने साथ ही तालिबान को चेतावनी दी कि यदि चीजें खराब हुईं, तो हम फिर वापस जाएंगे।
इससे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भी कहा था कि यदि तालिबान अपने वादे से पीछे हटा तो अमेरिका करार समाप्त करने से नहीं हिचकेगा। अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने शनिवार को कहा कि यदि तालिबान सुरक्षा गांरटी से इनकार करता है और अफगानिस्तान की सरकार के साथ वार्ता की प्रतिबद्धता से पीछे हटता है तो अमेरिका उसके साथ ऐतिहासिक समझौते को 'खत्म करने में नहीं हिचकेगा।'
14 महीने के अंदर अमेरिकी सैनिकों की वापसी
दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उनका यह बयान आया। इसमें 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की समय सीमा तय की गई है। लेकिन काबुल के दौरे में एस्पर ने चेतावनी दी, 'अगर तालिबान अपने वादे से पीछे हटा तो वे अफगानों के साथ बैठने और अपने देश के भविष्य पर चर्चा करने के अवसर से चूक जाएंगे।' उन्होंने कहा, 'साथ ही अमेरिका भी समझौते को रद्द करने से नहीं हिचकेगा।'
क्या है अमेरिका और तालिबान में हुआ समझौता?
अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के तहत अमेरिका की प्राथमिकता है अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाना। अफगानिस्तान के वॉर जोन में अभी 13 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। समझौते के तहत अमेरिका करीब साढ़े चार हजार अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाएगा। जिसके बाद अफगानिस्तान में केवल 8 हजार 6 सौ सैनिक ही रह जाएंगे। दोहा के एक आलीशान होटल में तालिबान के वार्ताकार मुल्ला बिरादर ने समझौते पर दस्तखत किए वहीं दूसरी तरफ से अमेरिका के वार्ताकार जलमय खलीलजाद ने हस्ताक्षर किए। इसके बाद दोनों ने हाथ मिलाए। इस समझौते के साथ ही तालिबान और काबुल सरकार के बीच भी बातचीत की उम्मीद जगी है जिससे 18 साल से चल रहे संघर्ष के भी खत्म होने के आसार है।