म्यांमार की अपदस्थ नेता एवं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को चार साल की सजा हुई है। देश के कोर्ट ने कोरोना नियमों का उल्लंघन करने एवं सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने के आरोप में यह सजा सुनाई है। इस सजा के बाद सू की देश में चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।
सू की के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं आपराधिक मामलों की भी सुनवाई चल रही है। हालांकि सू की के समर्थकों का कहना है कि उनकी नेता के खिलाफ मामले जानबूझकर बनाए गए हैं। लोगों की कोशिश सैन्य तख्तापलट को जायज ठहराने की है।
बता दें कि पिछले साल म्यामांर में हुए चुनाव में सू की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी, जबकि सेना के संबद्ध दल को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।
चुनाव में कई सीटों पर हारी हुई सेना ने बड़े पैमाने पर मतदान धोखाधड़ी का दावा किया, लेकिन स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों ने किसी भी बड़ी अनियमितता का पता नहीं लगाया।
सू की के मुकदमे मीडिया और दर्शकों के लिए बंद हैं और उनके वकीलों को अक्टूबर में जानकारी जारी करने से मना करने के आदेश दिए गए थे।
सू की के खिलाफ मामलों को व्यापक रूप से उन्हें बदनाम करने और अगले चुनाव में भाग लेने से रोकने के लिए साजिश के रूप में देखा जाता है।
सेना के अधिग्रहण के 10 महीने बाद भी सैन्य शासन का विरोध मजबूत बना हुआ है और इस फैसले से तनाव और भी बढ़ सकता है।
सैन्य सरकार के खिलाफ रविवार को विरोध मार्च निकाला गया और सू की और उनकी सरकार के अन्य हिरासत में लिए गए सदस्यों की रिहाई का आह्वान किया गया।