बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने दावा किया है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपदस्थ बांग्लादेशी नेता शेख हसीना को भारत से राजनीतिक बयानबाजी करने से रोकने की अपील की थी, लेकिन उनकी इस मांग को ठुकरा दिया गया। लंदन के चैथम हाउस में बोलते हुए यूनुस ने कहा कि उन्होंने अप्रैल में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी से इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
यूनुस के अनुसार, उन्होंने मोदी से कहा, "आप हसीना को शरण देना चाहते हैं, मैं आपको उस नीति को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। लेकिन कृपया यह सुनिश्चित करें कि वह बांग्लादेशी लोगों को इस तरह संबोधित न करें।" जवाब में, मोदी ने कथित तौर पर कहा, "यह सोशल मीडिया है, इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता।" यूनुस ने इसे "विस्फोटक स्थिति" करार देते हुए कहा कि इसे केवल सोशल मीडिया कहकर टाला नहीं जा सकता।
शेख हसीना अगस्त 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ले चुकी हैं। तब से वह दिल्ली से सोशल मीडिया के जरिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर हमले कर रही हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार हसीना के प्रत्यर्पण के लिए प्रयास जारी रखेगी, क्योंकि बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने हसीना पर 2024 के प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के आदेश देने का आरोप लगाया है।
यूनुस ने यह भी कहा कि ढाका ने भारत को हसीना के प्रत्यर्पण के लिए लिखित अनुरोध भेजा है और कानूनी प्रक्रिया (legal proceedings) शुरू हो चुकी है। उन्होंने इंटरपोल सहित सभी कानूनी रास्तों का पालन करने की बात कही। हालांकि, भारत की ओर से अभी तक इस अनुरोध पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला भारत-बांग्लादेश संबंधों को और जटिल कर सकता है। यूनुस ने भारत के साथ मजबूत संबंधों की इच्छा जताई, लेकिन "भारतीय प्रेस में फर्जी खबरों" को इसका नुकसान पहुंचाने वाला बताया।