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गिलगिट पर पीएम मोदी के आरोपों की पाक सांसदों ने की पुष्टि

पाकिस्तानी सांसदों की अधिकार प्राप्त समिति ने गिलगिट-बाल्टिस्तान में आम जनता पर हो रहे अत्याचार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों की पुष्टि की है। गिलगिट-बाल्टिस्तान के दौरे के बाद समिति के प्रमुख ताज हैदर ने कहा कि हालात उससे भी बदतर हैं, जितना हमने सुना था। समिति के दौरे के बाद अवामी एक्शन कमेटी ने गिलगिट-बाल्टिस्तान में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है। अवामी एक्शन कमेटी गिलगिट-बाल्टिस्तान के 23 धार्मिक और राजनीतिक दलों का संगठन है। जाहिर है अपने ही सांसदों की समिति ने गिलगिट-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के मंसूबों को सार्वजनिक कर दिया है।
गिलगिट पर पीएम मोदी के आरोपों की पाक सांसदों ने की पुष्टि

पाकिस्तानी अखबारों में छपी खबरों के अनुसार पाक सांसदों की उच्च स्तरीय समिति को गिलगिट-बाल्टिस्तान के जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए भेजा गया था। दौरे के बाद गिलगिट एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के सांसद मियां अतीक ने माना कि इस क्षेत्र के साथ भेदभाव हो रहा है। समिति के प्रमुख पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के ताज हैदर का कहना था कि यहां के लोग खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और हम इसको लेकर काफी गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही वे संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक में और लालकिले से स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए गिलगिट-बाल्टिस्तान, गुलाम कश्मीर और बलूचिस्तान में स्थानीय नागरिकों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया था। उनके आरोपों की अपने ही सांसदों द्वारा पुष्टि के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के लिए खुद का बचाव करना मुश्किल होगा। वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी अब गुलाम कश्मीर में हो रहे अत्याचार की ओर गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने पहली बार पाकिस्तान से भी गुलाम कश्मीर में हो रहे अत्याचार की जांच के लिए टीम भेजने की अनुमति देने की मांग की है। अभी तक ऐसी मांग केवल भारतीय कश्मीर के लिए की जाती थी।

पाकिस्तानी सांसदों के वापस लौटते ही गिलगिट-बाल्टिस्तान की अवामी एक्शन कमेटी ने पूरे इलाके में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा कर दी। 2014 में बने इस गठबंधन का कहना है कि गिलगिट-बाल्टिस्तान से पाकिस्तानी फौजों की वापसी और चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट के निरस्त होने तक उसका संघर्ष जारी रहेगा। उसका आरोप है कि 40 मिलियन डालर के चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट में गिलगिट-बाल्टिस्तान के लिए कुछ नहीं रखा गया है। हालात यह है कि प्रोजेक्ट के लिए स्थानीय लोगों की जमीनें जबरदस्ती ले ली गई हैं और उन्हें कोई मुआवजा तक नहीं दिया गया। मुआवजा मांगने पर पाकिस्तानी सेना और पुलिस लोगों के जेल में बंद कर देती हैं। 500 से अधिक युवाओं को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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