पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राज्य और बांग्लादेश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए गुरुवार को यहां तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची। उनके दौरे से तीस्ता जल बंटवारा करार और भूमि सीमा करार पर आगे बढ़ने की उम्मीदें है। सन 2011 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनका यह पहला दौरा है।
विदेशी मामलों के राज्य मंत्री शहरयार आलम ने बनर्जी के दौरे की पूर्वसंध्या पर संवाददाताओं से कहा, हमें उम्मीद है कि उनके इस दौरे से ढाका और दिल्ली के बीच लंबित मुद्दों के समाधान के लिये अनुकूल माहौल बनेगा। उन्होंने कहा, कानूनी तौर पर द्विपक्षीय मुद्दा केंद्र सरकारों द्वारा सुलझाया जाता है। लेकिन, हमारा मानना है कि उनके इस दौरे से भविष्य में लंबित मुद्दों के समाधान में सहूलियत होगी। बांग्लादेश और भारत के बीच 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्राी मनमोहन सिंह के दौरे के दौरान तीस्ता समझौता होने वाला था लेकिन अंतिम वक्त पर बनर्जी के एतराज के कारण यह रुक गया था।
तीस्ता करार इसलिए नहीं हो पाया था कि बनर्जी ने प्रस्तावित जल की मात्रा पर यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि इससे उनके राज्य को नुकसान होगा। कई विश्लेषकों का मानना है कि ममता का यह दौरा वस्तुत: तनाव भरे रिश्तों में जमी हुई बर्फ को तोड़ने वाला होगा क्योंकि उनके इस दौरे से भूमि सीमा समझौते (एलबीए) की अभिपुष्टि पर आगे बढ़ने की उम्मीद है। इस मुद्दे पर ममता अतीत में भी आपत्ति जता चुकी है। अपने आगमन के पहले बनर्जी ने उम्मीद जतायी कि उनके ढाका दौरे से बांग्लादेश और उनके राज्य के बीच संबंध मजबूत होंगे और दोनों तरफ से कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कोलकाता में संवाददाताओं से कहा, मैं पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच व्यावसायिक संपर्क बढ़ाने और अन्य चीजों के आदान प्रदान के संदेश को बांग्लादेश ले जाऊंगी।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एएच महमूद अली ने 1952 के भाषायी शहीदों की याद में ऐतिहासिक भाषा दिवस समारोह में शिरकत करने के लिए उन्हें आमंत्रिात किया था। उनका राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री शेख हसीना से मिलना प्रस्तावित है और विदेश मंत्री के साथ वार्ता करेंगी।