हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतन्याहू को जीत की बधाई दी है। इ्स्राइल के संसदीय चुनावों में 120 सीटों में से लिकुड पार्टी को 30 सीटें मिली हैं। यहां यह समझना जरूरी है कि इस्राइल के चुनावों में छोटी दक्षिणपंथी पार्टियों का बोलबाला होता है और लिकुड पार्टी इन छोटी पार्टियों के साथ गठजोड़ करके ही पिछले 9 साल से लगातार सत्ता में है। इस बार भी ऐसी पार्टियों को 24 सीटें मिलने की खबर है। इसके अलावा ज्वाइंट लिस्ट ऑफ अरब पार्टिज को 14 सीटें मिली हैं और यह गठजोड़ भी लिकुड का समर्थक है। कुल मिलाकर 120 सदस्यीय सदन में लिकुड को 80 से अधिक सदस्यों का समर्थन मिलेगा जिसके कारण नेतन्याहू आराम से रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बन जाएंगे। आम चुनावों में यह नेतन्याहू की लगातार तीसरी जीत है। पिछले चुनावों में लिकुड पार्टी को सिर्फ 18 सीटें मिली थीं।
इस बार नेतन्याहू ने ठीक चुनाव से पहले अपने दक्षिणपंथी रुख को और कड़ा बना लिया था और फिलस्तीनी राज्य संबंधी अपनी पुरानी नीति को बदलने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि उनके पद पर रहते फिलस्तीनी राज्य नहीं बनेगा। यही नहीं उन्होंने परमाणु मुद्दे पर अमेरिका और ईरान की बातचीत का भी जमकर विरोध किया था जिसके कारण अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भी उनके संबंध खराब हो गए।
अपनी पार्टी की जीत की घोषणा करते हुए नेतन्याहू ने संवाददाताओं से कहा, सभी दिक्कतों के बावजूद, लिकुड के लिए हमने आश्चर्यजनक जीत हासिल की है। उन्होंने कहा, मुझे इस्राइल के लोगों पर गर्व है, जिन्होंने महत्वपूर्ण और सामान्य में फर्क किया। इस्राइली आम चुनावों के परिणाम की अंतिम घोषणा होने के बाद 120 सदस्यीय संसद में नेतन्याहू की सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी को 30 सीटें मिली हैं। इजाक हेजरोग के नेतृत्व वाली मुख्य विरोधी दल जिओनिस्ट यूनियन को 24 सीटें मिली हैं। इस्राइल के अभी तक के त्रिशंकु चुनाव परिणामों को देखते हुए लिकुड को मिली जीत को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।