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रजा से जुड़े 40 हज़ार पत्रों का खजाना

विश्वप्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के पास 40 हज़ार पत्रों का खजाना था। इनमें रज़ा को लिखे गए पत्रों के...
रजा से जुड़े 40 हज़ार पत्रों का खजाना

विश्वप्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के पास 40 हज़ार पत्रों का खजाना था। इनमें रज़ा को लिखे गए पत्रों के अलावा  रज़ा द्वारा लिखे गए पत्र भी  शामिल हैं। यह बेशकीमती खज़ाना अब रज़ा फाउंडेशन के अभिलेखागार में है।

इस खजाने से प्रख्यात चित्रकार रामकुमार  ,फ्रांसिस न्यूटन सूजा , और वी एस गायतोंडे के  आत्मीय पत्रों  की एक प्रदर्शनी कल यहां लगाई गई।गौरतलब है कि ये तीनों नामी गिरामी चित्रकार रज़ा साहब के युवा दिनों के गहरे दोस्त थे और इन तीनों की इस वर्ष जन्मशती मनाई जा रही है।ये तीनों 1924 में पैदा हुए थे और मुंबई प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप के सदस्य थे जिसकी स्थापना मकबूल फिदा हुसैन ने की थी।

रज़ा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी एवम प्रसिद्ध लेखक अशोक वाजपेयी ने कल शाम त्रिवेणी गैलरी में इन चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

उन्होंने बताया कि यह संयोग है कि इस वर्ष रामकुमार , गायतोंडे और सूजा की जन्मशती है और तीनों रज़ा साहब के गहरे दोस्त थे।जिन्होंने एक दूसरे को खूब पत्र लिखे जिनमें गहरी आत्मीयता और सुख दुख का साथ भी झलकता है।ये तीनों बाद में बहुत बड़े आर्टिस्ट हुए और विश्व स्तर पर जाने गए।इनकी पेंटिंग्स करोड़ों में बिकी और भारत के सम्मानित एवम महंगे कलाकार बने।इन तीनों ने भारतीय कला को नई दिशा दी एवम नया आयाम दिया।इनका अवदान भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि आज के ज़माने में तो कोई किसी को पत्र लिखता नहीं जबकि एक जमाना था जब लेखक कलाकार एक दूसरे को पत्र लिखते थे ,एक दूसरे की मदद करते थे। उन्होंने बताया कि जब रज़ा पेरिस पहुंचे थे तो रामकुमार भी उन दिनों पेरिस में थे।सूज़ा  ब्रिटेन में थे।उन्हें कुछ पैसों की जरूरत हुई क्योंकि उनकी पत्नी माँ बननेवाली थी ।रज़ा ने फौरन पैसा भेजा और तब अस्पताल आदि का खर्च दिया गया।

उन्होंने कहा कि रामकुमार के पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों में हैं जबकि अन्य केवल अंग्रेजी में। आज की पीढ़ी ने इन तीनों की लिखावट भी नहीं देखी होगी।इन पत्रों में दोस्ती की मिसाल देखी जा सकती है और उनके व्यक्तिव को भी पहचाना जा सकता है।अधिकतर पत्र अप्रकाशित हैं।

12अप्रैल  1924 में गोआ में जन्मे सूज़ा 50 के दशक में ब्रिटेन चले गए थे और  28 मॉर्च 2002 में उनक़ा निधन हो गया था जबकि रामकुमार का जन्म 23 सितंबर 1924 कोशिमला में  हुआ था और वह निर्मल वर्मा के बड़े भाई थे तथा खुद भी हिंदी के प्रसिद्ध लेखक थे ।उनक़ा निधन  14 अप्रैल 2018 में हुआ था जबकि वी एस  गायतोंडे का जन्म 2 नवम्बर 1924 को हुआ था और  निधन 10 अगस्त 2001 में हुआ था।

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