नौ दिन तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में कई साहित्यिक गोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा बच्चों के लिए भी कई गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। प्रमुख प्रकाशकों की भागीदारी वाले इस पुस्तक मेले में पुस्तक अनावरण और लेखकों के साथ संवाद भी होंगे।
भारतीय प्रकाशक संघ के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा, एक समर्पित लाउंज के लिए हमारे पास बड़ी संख्या में पुस्तकें हैं, जो पुस्तक प्रेमियों को बता सकती हैं कि कौशल विकास से क्या-क्या किया जा सकता है और कौशल विकास किस तरह से युवाओं की जिंदगी बदल सकता है। हमें उम्मीद है कि पुस्तक मेले से वापस जाने पर ये युवा सिर्फ भारत के उद्योगों को सहयोग देने के मामले में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में कौशल विकास का संदेश प्रसारित करने के लिए उर्जा से भरपूर होंगे।
दिल्ली पुस्तक मेले की शुरूआत वर्ष 1995 में आईटीपीओ की मदद से हुई थी। गुप्ता ने कहा, दिल्ली में पाठ्य पुस्तकों से इतर पुस्तकें मिलना मुश्किल था। पुस्तक प्रेमियों को कला, संस्कृति, इतिहास जैसे विभिन्न विषयों की किताबें लेने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाना पड़ता था। यह पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों के लिए एक प्रमुख बिंदू बन गया है। यहां उन्हें एक वातानुकूलित छत के नीचे पढ़ने का एक बहुत अच्छा माहौल मिलता है, जहां वे सभी प्रकार की पुस्तकें चुन सकते हैं और खरीद सकते हैं।
आईटीपीओ के सहयोग ने इस पुस्तक मेले को व्यापार मेले के बाद आने वाले सबसे बड़े मेलों में से एक बना दिया है। गुप्ता ने कहा, पुस्तक मेले को अब सभी पुस्तक प्रेमी, छात्रा, शिक्षक, माता-पिता, प्यार करते हैं। ये सभी अपनी पसंद की किताब खरीदने के लिए इस मेले में जाने का इंतजार कर रहे हैं। इस पुस्तक मेले में अब पारंपरिक पुस्तकों के साथ-साथ डिजीटल पुस्तकें भी उपलब्ध हैं।
दिल्ली पुस्तक मेले के लिए लगने वाले स्टालों के लिए लगभग 4000 वर्ग मीटर का क्षेत्रा बुक किया गया है जबकि पूरे मेले के लिए लगभग 10 हजार वर्गमीटर का क्षेत्रा निर्धारित है।
आयोजकों का अनुमान है कि मेले में लगभग 15 लाख लोग आएंगे, जिनमें स्कूली छात्रा भी शामिल होंगे। इस साल मेले का समय एक घंटा बढ़ा दिया गया है। इसे सुबह 10 बजे से रात आठ बजे तक किया गया है ताकि बच्चे मेले का आनंद उठा सकें। स्कूल की डेस पहनकर शिक्षकों के साथ आने वाले बच्चों को मुफ्त प्रवेश दिया जाएगा।