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साहित्य अकेडमी कर रही दुनिया का सबसे बड़ा लिट् फेस्ट

एशिया का सबसे बड़ा लिट् फेस्ट करने के बाद साहित्य अकेडमी अब दुनिया का सबसे बड़ा लिट् फेस्ट करने जा रही...
साहित्य अकेडमी कर रही दुनिया का सबसे बड़ा लिट् फेस्ट

एशिया का सबसे बड़ा लिट् फेस्ट करने के बाद साहित्य अकेडमी अब दुनिया का सबसे बड़ा लिट् फेस्ट करने जा रही है। राजधानी में 11 मार्च से 16 मार्च तक यह लिट् फेस्ट होगा जिसमें 175 से अधिक भाषाओं के 1100 सेअधिक लेखक भाग लेंगे। समारोह में तीन राज्यों छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल और केरल के राज्यपाल क्रमशः विश्व भूषण हरिचंदन, सी वी आनंद बोस तथा आरिफ मोहम्मद खान भी होंगे जो अपनी भाषा के प्रमुख लेखक भी हैं। यह जानकारी अकेडमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने आज यहां पत्रकारों को दी।

उन्होंने दावा किया कि एडिनबरा लिट् फेस्ट और जयपुर लिट् फेस्टिवल से बड़ा साहित्य अकेडमी का सहियोत्सव होगा।हरसाल हम साहित्योत्सव करते हैं पर इस साल हम अकेडमी की स्थापना के 70 साल पूरे कर रहे हैं।इसअवसर पर दुनिया कासबसे बड़ा लिट् फेस्ट कर रहे हैं।आज तक दुनिया में इतनी भाषाओं के इतने लेखकों ने भाग नहीं लिया है।इस समारोह में 190 सत्र होंगे।ये सभी सत्र संत कवियों के नाम पर बनाये गए सभागारों में होंगे जो बाल्मिकी ,तुलसीदास ,कबीर, मीरा, तिरुवल्लुवर, शंकरदेव, ललदेव आदि के नाम पर होंगे। उन्होंने बताया कि इस बार समारोह के मुख्य आकर्षण मशहूर फिल्मी हस्ती गुलजार होंगे जो संवत्सर व्यायख्यान "सिनेमा और साहित्य "पर देंगे।

पुरस्कार अर्पण समारोह 12 मार्च को होगा जिसकी मुख्य अतिथि ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता उड़िया लेखिका प्रतिभा राय होंगी। 11 मार्च को अकेडमी के महत्तर सदस्यों का अभिनंदन होगा।समारोह में एक दिन अखिल भारतीय दिव्यांग लेखक सम्मेलन भी होगा।

इस साहित्योत्सव की शुरुआत अकादेमी की वर्षभर की प्रमुख गतिविधियों की प्रदर्शनी से होगा। जाएगा। बहुभाषी कवि और कहानी-पाठ, युवा साहिती, अस्मिता, पूर्वोत्तरी, जैसे नियमित कार्यक्रमों के अलावा भारत का भक्ति साहित्य, भारत में बाल साहित्य, भारत की अवधारणा, मातृभाषाओं का महत्त्व, आदिवासी कवि एवं लेखक सम्मिलन, भविष्य के उपन्यास, भारत में नाट्थ लेखन, भारत की सांस्कृतिक विरासत, भारतीयों भाषाओं में विज्ञान कथा साहित्य, नैतिकता और साहित्य, भारतीय साहित्य में आत्मकथाएँ, साहित्य और सामाजिक आंदोलन, विदेशों में भारतीय साहित्य जैसे अनेक विषयों पर परिचर्चा और परिसंवाद होंगे। इस बार की राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय है- स्वातंत्र्योत्तर भारतीय साहित्य। इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय दिव्याग लेखक सम्मेलन, एलजीबीटीक्यू लेखक सम्मिलन, मीर तकी मीर की जन्म-त्रिशतवार्षिकी पर संगोष्ठी, गोपीचंद नारंग पर एक परिसंवाद जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिताएँ साहित्यिक प्रश्नोत्तरी और कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें दिल्ली एवं एन.सी.आर के 1000 से अधिक बच्चों के भाग लेने की उम्मीद है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत राजश्री वारियर द्वारा भरतनाट्यम, गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम कस्तूरी, महेशाराम द्वारा संतवाणी गायन एवं दयाप्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित नाटक सम्राट अशोक का मंचन भी किया जाएगा। छह दिन तक चलने वाले इस साहित्योत्सव में भाग ले रहे हिंदी एवं विभिन्न भारतीय भाषाओं के कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक एवं विद्वान है-एस.एल. गैरप्पा, चंद्रशेखर कंबार, पॉल जकारिया, आबिद सुरती, के. सच्चिदानंदन, चित्रा मुद्गल, मृदुला गर्ग, के. इनोक, ममग दई, एच.एस शिवप्रकाश, सचिन केतकर, नमिता गोखले, कुल सैकिया, वाई.डी थोंगची, मालाश्री लाल, कपिल कपूर, अरुंधति सुब्रहाण्यम्, रक्षंदा जलील, राणा नायर, वर्षा दास, सुधा शेषाय्यन, उदय नारायण सिंह, अरुण खोपकर, शीन काफ निज़ाम आदि।

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