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पुस्तकों के दीवाने

नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में जिगर मुरादाबादी और पवित्र भूमि पर पुस्तकों की खुशबुओं से सुवासित करने का सात्विक कार्य ‘पुस्तक मेला’ के रूप में आयोजित किया गया।
पुस्तकों के दीवाने

ज़िला प्रशासन मुरादाबाद और नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में जिगर मुरादाबादी और पवित्र भूमि पर पुस्तकों की खुशबुओं से सुवासित करने का सात्विक कार्य ‘पुस्तक मेला’ के रूप में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मेला परिसर में प्रसिद्ध जिगर मंच पर नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली ने ‘पुस्तकें और पाठक की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी का सार्थक आयोजन किया गया जिसमें अतिथि साहित्यकारों_ वरिष्ठ नाटककार श्री प्रताप सहगल, वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री सुभाष चंदर, सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री आलोक पुराणिक, दिल्ली विश्वविद्यालय से असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुनीता एवं व्यंग्यकार सुनीता शानू के साथ-साथ सुविख्यात नवगीतकार डा. माहेश्वर तिवारी व सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्यकवि डा. मक्खन मुरादाबादी ने अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति व वक्तव्यों से संगोष्ठी को अविस्मरणीय बना दिया।इस मौके पर श्री  प्रताप सहगल ने कहा हमें देखना होगा कि हमारी पीढ़ी का रुख किस तरफ हैं और वह आखिर क्या पढ़ना चाहती हैं हमें अपने पाठकों के हितों को भी नजरअंदाज करने से बचना होगा। वहीँ दूसरी तरफ डॉ महेश्वर ने कहा-जो साहित्य लोगों के बीच उनके अनुभव को जोड़ के लिखा जाता हैं वह कभी भी अप्रासंगिक नहीं होता। मक्खन मुरादाबादी ने कहा-हमें वह रचना होगा जो समजोन्मुखी हो।जाने माने व्यंग्य समालोचक सुभाष चंदर का कहना था आज टेलीविजन  ने पाठक कम किये।हमें अपने कार्यक्रमों के कंटेंट को भी अब बदलना होगा।चर्चित व्यंग्यकार डॉ आलोक पुराणिक ने कहा हमें अपने पाठकों के बारे में खुद को पाठक रख कर सोक्सहन और देखना होगा की आखिर हम उन्हें क्या परोस रहे हैं। सुनीता शानू ने कहा_मान बाप अपने बच्चों को प्रापर्टी देते हैं अरे मैं तो कहती हूँ उनको अपने वारिसों को पुस्तकें भेंट करनी चाहिए।ट्रस्ट के संपादक ने कहा_लगातार पुस्तकों को पाठक मिल रहे है ऐसे में यह कहना की संकट हैं तो यह साफ़ कर दूं कि पठनीयता का संकट तो बिलकुल नहीं है पर हमें यह पहल अवश्य करनी होगी कि कहीं हमारे प्रयासों में ही तो कोई अवरोध नहीं।रचनात्मक बहस के बाद साहित्य संध्या में व्यंग्य,गीत-कविता और शायरी का अंदाज तक़रीबन चार घंटे से अधिक चले इस कार्यक्रम में कड़ाके की ठण्ड के होने के बावजूद भी श्रोताओ और पाठकों में कोई कमी नहीं थीं ।पुस्तक प्रदर्शनी के अलावा खाने पीने के स्टाल्स भी प्रशासन ने लगवाये थे कि पुस्तकों का अव्लोकन खाते पीते किया जाए।इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (नगर) मुरादाबाद श्री प्रवीण मिश्र के साथ-साथ शहर के साहित्यकारों व विद्वतजनों- सर्वश्री डा. राकेश ‘चक्र’, डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’, योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’, डा. महेश ‘दिवाकर’, डा. मनोज रस्तोगी, विवेक ‘निर्मल’, अशोक विश्नोई, डा. पूनम बंसल, ज़िया ज़मीर, रामसिंह ‘निशंक’, राजीव ‘प्रखर’, ओमकार सिंह ‘ओंकार’, डा. देवेन्द्र सिंह, उमाशंकर गुप्त, के.के.गुप्ता आदि की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा में वृद्धि हुई। पाठकों की भागीदारी बतला रही थी पुस्तकों के प्रति उनकी ललक और अनुराग को।यह पहली बार पीतल नगरी में इस तरह का आयोजन हुआ।जिसके लिए जिला प्रशासन बधाई का पात्र हैं अपर जिला अधिकारी प्रवीण मिश्र ने यह आश्वाशन दिलाया कि नगर को पठन पाठन और पुस्तकों के प्रति अलख जलाने में जितनी भी कोशिश करनी हो की जायेगी।कार्यक्रम का सफल सञ्चालन हिंदी संपादक डॉ ललित किशोर मण्डोरा ने किया।

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