दिल्ली के कलाकार शिराज हुसैन ने इस समस्या का अपने आप में एक लाजवाब हल निकाला है। उन्होंने ख्वाब तन्हा नाम से एक संग्रह बनाया है, जिसमें ऐसे पुराने कवियों और लेखकों के पोस्टकार्ड्स, पेंटिंग और पोस्टर हैं, जो पढ़े तो बहुत ज्यादा जाते हैं लेकिन तस्वीर से पहचाने नहीं जाते हैं। तीस वर्षीय हुसैन कहते हैं कि उर्दू कवियों की अच्छी तस्वीर मौजूद हैं लेकिन इंटरनेट पर ये उपलब्ध नहीं हैं। हुसैन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं और रात में चित्र बनाते हैं, जिसमें ज्यादातर कवियों की तस्वीरें और उनकी कविताएं होती हैं। वो कहते हैं, लोग लियो टोल्सटोय, मार्क ट्वेन, माइकल जैक्सन और लेनिन को आसानी से पहचान सकते हैं। लोग चेग्वेरा की टीशर्ट पहनते हैं क्योंकि वो उन्हें पहचानते हैं। हुसैन का कहना है, हमारे पास कवियों और लेखकों के रूप में अपने रॉकस्टार हैं, हमें उन्हें भी पहचानना चाहिए। उन्होंने कहा कि सआदत हसन मंटो, गालिब, फैज अहमद फैज, प्रेमचंद, इस्मत चुगतई, कैफी आजमी जैसे मशहूर नामों के अलावा भी कई नाम हैं। हुसैन ने जॉन एलिया, राजिंदर सिंह बेदी, अख्तरुल ईमान, शेख इब्राहिम जौक, गजानन माधव, मुनीर नियाजी, अवतार सिंह पाश और परवीन शाकिर जैसे दिग्गज लेखकों-कवियों पर भी काम किया है।
हुसैन का ज्यादातर काम तो उर्दू कलाकारों के ऊपर ही है लेकिन वो अब हिंदी, बंगाली, मलयालम में भी काम करने जा रहे हैं। हुसैन ने यह प्रयोग फरवरी में शुरू किया था, जिसे काफी प्रशंसा मिल रही है। हुसैन ने बताया, मैं जनकवि हरिशंकर परसाई और बाबा नागार्जुन जैसे हिंदी लेखकों पर काम कर रहा हूं। उन्होंने कहा, मैंने बंगाली भाषा में भी थोड़ा काम किया है और मलयालम और ओड़िया भाषा में काम करने के लिए मुझे निमंत्रण मिला है। हुसैन के काम से युवा वर्ग को अपने पूराने लेखकों और कवियों को पहचानने में बहुत सुविधा होगी। हुसैन द्वारा फरवरी में शुरू की गई इस पहल की लेखक-कवि जावेद अख्तर अभिनेत्री शबाना आजमी, गीतकार-पटकथा लेखक वरुण ग्रोवर और पाकिस्तानी कवयित्री-पटकथा लेखक जेहरा निगाह ने काफी सराहना की है।