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Search Result : "फैज"

सीबीएसई के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव; मुगल दरबारों के इतिहास, इस्लामी साम्राज्य का उदय और फैज की आयतों को हटाया गया

सीबीएसई के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव; मुगल दरबारों के इतिहास, इस्लामी साम्राज्य का उदय और फैज की आयतों को हटाया गया

सीबीएसई ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शीत युद्ध के दौर, अफ्रीकी-एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्यों के...
आईआईटी कानपुर तय करेगा कि फैज की कविता ‘लाजिम है कि हम भी देखेंगे’ हिंदू विरोधी है या नहीं

आईआईटी कानपुर तय करेगा कि फैज की कविता ‘लाजिम है कि हम भी देखेंगे’ हिंदू विरोधी है या नहीं

क्या फैज अहमद फैज की कविता 'हम देखेंगे लाजिम है कि हम भी देखेंगे' हिंदू विरोधी है? अब इस बात की जांच के लिए...
एक कलाकार दे रहा है पुराने लेखकों और कवियों को नई पहचान

एक कलाकार दे रहा है पुराने लेखकों और कवियों को नई पहचान

पुराने लेखकों और कवियों की अच्छी तस्वीरें इंटरनेट पर शायद ही मिलती हैं। ऐसी स्थिति का सामना हम में से ज्यादातर लोग करते तो हैं लेकिन इस स्थिति का हल नहीं निकाल पाते हैं। ऐसे में एक कलाकार कई तरह के कला माध्यमों का सहारा लेकर पूराने लेखकों-कवियों की पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है।
जिंबाब्वे को दस विकेट से हरा भारत ने क्लीन स्वीप किया

जिंबाब्वे को दस विकेट से हरा भारत ने क्लीन स्वीप किया

जसप्रीत बुमरा की उम्दा गेंदबाजी के बाद लोकेश राहुल और अपना पहला अंतरराष्टीय मैच खेल रहे फैज फजल के नाबाद अर्धशतकों की बदौलत भारत ने जिम्बाब्वे को तीसरे एक दिवसीय क्रिकेट मैच में बुधवार को दस विकेट से हराकर श्रृंखला में 3-0 से क्लीन स्वीप कर लिया।
आज की शब पौ फटे तक जागना होगा

आज की शब पौ फटे तक जागना होगा

उस कदर प्यार से ऐ जाने जहां रखा है दिल के रुखसार पे इस वक्त तेरी याद ने हाथ अक्सर हमारी तनहाइयों में लरजां रहे उनकी आवाज के साये, गो हम कभी इकबाल बानो का दीदार नहीं कर सके और वह चली गई। हालांकि हमारे और इस उपमहाद्वीप के दिल की गहराईयों में वह हमेशा सुलगती रहेंगी। उफक पर चमकती हुई। सच पूछो तो बानो के सामने, पुरानी कहावत के मुताबिक, हम कभी जनमे ही नहीं क्योंकि हमने उनका लाहौर कभी नहीं वेख्या, हालांकि वह हमारी दिल्ली से ही वहां जा बसी थीं। पर आधुनिक टेक्नोलॉजी का कमाल कहिए कि इकबाल बानो की दमदार आवाज ने इस पार के करोड़ों लोगों की तरह हमारी रगों में भी एक अजीब वक्त की बेडिय़ों में जकड़े लाहौर की जुंबिश धडक़ाई थी: जब जुल्मों सितम के कोहे गरां रूई की तरह उड़ जाएंगे हम महकुमूं के पांव तले ये धरती धड़-धड़ धडक़ेगी और अहले हुकुम के सर ऊपर जब बिजली कड़-कड़ कडक़ेगी हम देखेंगे
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