बरस रही है धूप
सावन में
जेठ की।
जल रहे हैं
खेत
इतरा रहे बादल
आकाश में।
सूखी हैं नदियां
सूखी हैं नहरें
गांव में होरी की
आंखों से
हो रही बरसात।
गांवों को डस रहा
सन्नाटा।
दफ्तरों में आ गई है
खुशियों की बाढ़
कविता में
संवेदना का
है सुखाड़।
अखबारों में खबरों की भीड़
केवल अनुपस्थित है
किसान।