मई, 2014 में देश से 27.99 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात हुआ था। पिछले साल नवंबर में निर्यात में 7.27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। उसके बाद से गिरावट का सिलसिला जारी है। पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं जेवरात, इंजीनियरिंग और रसायन समेत प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में मई में गिरावट रही। निर्यातकों ने लगातार गिरावट पर चिंता जाहिर की और कहा कि सरकार को इस गिरावट पर लगाम लगाने के लिए तेजी से पहल करना चाहिए। भारतीय निर्यात संगठनों के परिसंघ (एफआईईओ) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि गिरावट और बढ़ी है। यदि इसे जारी रहने दिया जाता है तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि इसकी प्रमुख वजह कच्चे तेल, धातु एवं जिंस में नरमी और मुख्य पश्चिमी बाजारो में नरमी ही रही।
समीक्षाधीन अवधि में आयात भी 16.52 प्रतिशत घटकर 32.75 अरब डॉलर रहा। फरवरी, 2014 से अब तक यह सबसे तेज गिरावट जबकि आयात में 17.09 प्रतिशत का संकुचन हुआ था। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मई माह में व्यापार घाटा कम होकर तीन महीने के न्यूनतम स्तर 10.4 अरब डॉलर पर आ गया जो मई 2014 में 11.23 अरब डॉलर था। फरवरी में यह 6.85 अरब डॉलर था। पेट्रोलियम निर्यात मई में 40.97 प्रतिशत घटकर 8.53 अरब डॉलर रहा। गैर-पेट्रोलियम निर्यात 2.24 प्रतिशत घटकर 24.21 अरब डॉलर रहा।
सोने का आयात हालांकि 10.47 प्रतिश्त बढ़कर 2.42 अरब डॉलर रहा। अप्रैल-मई 2015 में निर्यात 17.21 प्रतिशत गिरकर 44.4 अरब डॉलर पर आ गया। आयात भी 12.2 प्रतिशत घटकर 65.8 अरब डॉलर रहा जिससे चालू वित्त वर्ष के पहले दो माह में व्यापार घाटा कम होकर 21.39 अरब डॉलर रह गया। पिछले वित्त वर्ष 2014-15 के आखिरी माह, मार्च में देश का निर्यात 21 प्रतिशत घटा था जो पिछले छह महीने की सबसे बड़ी गिरावट थी।